मापनी : 221 1222 221 1222
आकर मेरी बाहों में जज़्बात मचलने दो
उल्फ़त के खिलें है गुल एहसास महकने दो।-1
हर-सम्त फ़ज़ाॅं महकी इक नूर नया छाया
मदहोश हुआ दिल भी ख़्यालात बहकने दो।-2
हर ख़्वाब मुकम्मल हो हर दम ही इनायत हो
गर हुस्न सॅंवारा है तो इश्क़ सॅंवरने दो।-3
है दरमियाॅं जो पर्दा शर्म-ओ-हया का छोड़ो
उल्फ़त की डगर में अब हर हद से गुज़रने दो।-4
ख़्वाहिश है यही दिल की ये लम्हा नहीं बीते
पैमाना मुहब्बत का आहिस्ता ही भरने दो।-5
#aksharo_ki_awaz
#Archana_Verma_Singh
Archana Verma Singh