November 17, 2024

मात्राबद्ध रचना ही है। इसलिए सभी विद्वानों से आग्रह है कि कृपया विषय का आस्वादन करें मात्रिक छंद के प्रकार पर चर्चा किसी और दिन कर लेंगे।

प्रश्न पुराना है लेकिन
फिर से मन में आया है
बोल विधाता क्यूॅं तूने
सारा खेल रचाया है
क्या सच है क्या माया है

ऊंची पदवी मन की है
या फिर महती काया है
इन दोनों के भेद ने ही
आजीवन भरमाया है
क्या सच है क्या माया है

झूठ को सच स्वीकार किया
फिर सच को झुठलाया है
स्वार्थ सधा जिसका उसने
प्रश्नों में उलझाया है
क्या सच है क्या माया है

उजली धूप तले ही तो
बनती काली छाया है
जिससे सुख की आशा की
उससे ही दुख पाया है
क्या सच है क्या माया है

कौन गलत है? वो जिसने
वंचित को ठुकराया है
या फिर वो जिसने डर के
दोषी को अपनाया है
क्या सच है क्या माया है

बाहर से हर सुदृढ़ को
भीतर कंपित पाया है
आशा के विपरीत सदा
इस सच ने चौंकाया है
क्या सच है क्या माया है

कौन भला है, कौन बुरा
अपना कौन पराया है
अपने-अपने सबके सच
सबने सच दोहराया है
क्या सच है क्या माया है
क्या सच है क्या माया है

मनस्वी अपर्णा

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