January 10, 2025

“उनके अंधकार में उजास है”

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अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध कवि मिल्टन के अनुसार कविता सादी, जोश से भरी और असलियत के निकट होनी चाहिए। ये तीनों गुण संजीव बख्शी के काव्य संसार में मिलते हैं। संजीव बख्शी का पांचवां काव्य संग्रह “उनके अंधकार में उजास है” के नाम से आया है। इसमें 44 कविताएं शामिल की गई हैं, जो यथार्थ को उजागर करती हुई बेहद सीधी और सरल हैं। यहां बड़े-बड़े शब्दों और चमत्कारों का प्रयोग नहीं बल्कि एक मानवीय सरोकारों को संजीदगी के साथ सरल शब्दों में बुना गया है। इस काव्य संग्रह का ब्लर्ब वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने लिखा है। नरेश सक्सेना के शब्दों में “संजीव बख्शी की कविताओं में धरती पर पहली बारिश से उठी गंध जैसी ताजगी और सहजता महसूस होती है। उनकी दृष्टि और सरोकारों में सर्वत्र एक आदिवासी निश्चलता की व्याप्ति है। भाषा और शिल्प यानी संरचना और बिंब रचने जैसा कोई विशेष उपक्रम उनके यहाँ दिखाई नहीं देता। जो भी है वह स्वस्फूर्त है। धूल मिट्टी में सना होने के बावजूद अलौकिक आभा से दीप्त है।” कविताओं का यह सादापन ही इन्हें आम-जन से जोड़ता है, लोक साहित्य का हिस्सा बनाता है और मनुष्यता में आस्था को गहरा बनाता है।
संजीव बख्शी लोक दायित्वों की बात करते हैं। उनका मानना है कि साहित्य तपस्या है और लेखन लोक-कल्याण के लिए ही होना चाहिए। उनके विचार उनकी कविताओं में स्पष्ट रूप से प्रस्फुटित होते हैं। जब वे आदिवासियों, किसानों, मज़दूरों और खेत या जंगल की बात करते हैं तो उनकी लेखनी से निकले शब्द एक प्रवाह में बहते हुए से प्रतीत होते हैं। लोक के प्रति उनकी सजगता उनकी रचनाओं में गहराई से दिखाई देती है –
“एक गाँव का किसान
घुप्प अंधकार में
चल कर
पहुँच जाता है
अपने खेत” [उजास – पृष्ठ सं.10]

“यहाँ का सुनसान
एक लोरी है
सब लोरी सुनते हैं
जिस रास्ते आती है नींद
उस पर चल देते हैं” [जंगल का अंधकार – पृष्ठ सं.11]

ये पंक्तियां कल्पना के कम और अनुभूति के अधिक करीब हैं। इस निकटता को वे पाठक बेहतर समझ सकते हैं जो प्रकृति और ग्रामीण जीवन के करीब रहे हैं या रहते हैं। जिन्होंने जंगलों को महसूस किया हो, जिनकी किसानों से आत्मीयता हो।
‘मैच रुक गया है’ कविता में बूंदों के बरसने और न बरसने से दो अलग-अलग वर्गों पर पड़ने वाले असर पर तंज है। अन्नदाता किसान बारिश के लिए तरस रहा है। कवि की कल्पना है कि अनाउंसर कहे कि सभी लोग बारिश होने की प्रार्थना करें और मैच न भी हो तो ख़ुशी-ख़ुशी घर चले जाएं। बारिश होगी तो किसान ख़ुश होगा, उसकी ख़ुशी को लोग समझें, फसलों के लहलहाने को महसूस कर सकें। लेकिन मैच के टिकट पर पैसा खर्च करने वाले बारिश के रुकने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। यहां दो वर्गों में बंटा समाज दिखता है। समाज की असलियत दिखती है। समाज की ज़रूरत क्या है, ये निम्नलिखित पंक्तियों में चित्रित है –
“एक ग़रीब बीमार के लिए
ज़रूरी है एक ग़रीब चिकित्सक
जो सस्ती दवाइयों के नाम जानता है” [एक ग़रीब बीमार के लिए ज़रूरी है एक ग़रीब चिकित्सक – पृष्ठ सं.23]

उनके अंधकार में उजास है कविता संग्रह में छोटी-बड़ी कुल 44 रचनाएं हैं। छोटी कविताएं चंद शब्दों में अपनी बात कह जाती हैं। उन्हें लंबे-लंबे पदबंधों की आवश्यकता नहीं। वे सशक्त हैं अपने छोटे से आकार में भी।
‘अभिनय’ पांच पंक्तियों की छोटी सी कविता है। लेकिन बहुत बड़ा सच बयान करने वाली कविता है। वर्तमान समाज का सच, जहां असलियत को ढूंढना मुश्किल है क्योंकि सब कुछ अभिनय ही तो है –
“जो समर्थन में हैं वे दरअसल समर्थन के अभिनय में हैं
जो विरोध में हैं वे विरोध के अभिनय में हैं” [अभिनय – पृष्ठ सं.40]

‘जीवन की लय’ कविता में वर्तमान जीवनशैली की व्याख्या है। सब कुछ इतनी रफ़्तार में चल रहा है कि नींद और सपने भी दुश्मन बन गए हैं –
“सब दौड़ रहे हैं, हाँफ रहे हैं, मशीनें दौड़ रही हैं, मशीने हाँफ रही हैं
मशीन की धक-धक ही बन गई है सबके भीतर की धक-धक
दिशाहीन अनियंत्रित चाहे जिधर भी
जैसे कोई प्रतियोगिता हो रही हो कोई रुका हुआ नहीं” [जीवन की लय – पृष्ठ सं.45]

‘चित्र दस कविताएं’ और ‘खसरा पांचसाला’ दो ऐसे अध्याय हैं जिनमें एक ही विषय पर दस अलग-अलग कविताएं लिखी गई हैं। यह प्रयोग भी सुंदर है। इसमें नयापन है। पुस्तक के अंतिम दो अध्याय ‘किसे बताऊं यह फल मीठा है…’ और ‘टिक-टिक’ कविताएं नहीं हैं, बल्कि कविताओं की लयात्मकता के साथ लिखे गए गद्य हैं। संजीव बख्शी की कविताओं में प्रकृति की ओर लौटने की पुकार है। समाज को लोक-कल्याण की संस्कृति से जोड़ने की आकांक्षा है। वे भाषा में चमत्कार के पक्षधर नहीं हैं, उन्हें सीधी-सरल भाषा में अपनी बात कहना पसंद है। हर कविता में आंदोलन नहीं है, बल्कि कुछ रचनाएं ऐसी हैं जो सिर्फ़ भावों और अनुभवों की अभिव्यक्ति हैं। और ये अभिव्यक्तियां मानवीय दृष्टिकोण से की गई हैं। काव्य में उपमा और रूपक या पंचलाइन ढूंढने वाले पाठकों के लिए कविताएं थोड़ी शांत प्रवृत्ति की हैं। यहां शब्द-क्रीड़ा या वाक्य-क्रीड़ा नहीं मिलती, लेकिन भावों और अनुभवों का प्रवाह भरपूर मिलेगा।
समीक्षक – ऊर्जा श्रीवास्तव
समीक्षित कृति – उनके अंधकार में उजास है (कविता संग्रह)
कवि – संजीव बख्शी
प्रकाशन – अंतिका प्रकाशन
मूल्य – ₹300/-

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