November 15, 2024

डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ का जनवादी तेवर

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जनकवि की संवेदना व्यक्तिगत नहीं होती। उसकी रचनाओं में सार्वजनिक पीड़ा , मज़दूरों की जुझारू चेतना, व्यवस्था एवं प्रभुत्वसंपन्न वर्ग के प्रति आक्रोश तथा जीवन का यथार्थ प्रतिबिंबित होता है । बानगी के तौर पर अंचल के वरिष्ठ कवि डॉ.माणिक विश्वकर्मा’नवरंग’ की छत्तीसगढ़ी रचनाओं में जनवादी तेवर के कुछ अंश निम्नानुसार हैं-
● नंदिया , नरवा डबरा होगे , खोरवा होगे किसान
कोनो नइहे बैसाखी के मितान
● जागव छत्तीसगढ़िया अपन छत्तीसगढ़ ला बचावव रे
हमर छत्तीसगढ़ हे हम हन छत्तीसगढ़ के बतावव रे
● छत्तीसगढ़ के माटी उपजे भैया सोना चाँदी गा
जीये ला छत्तीसगढ़िया मन ला मिलथे पैरा काँदी गा
यदि उनके द्वारा रचित नवछंद विधान हिंदकी की बात करें तो व्यवस्था के प्रति आक्रोश साफ़ दिखाई देता है यथा-
● किसी सूर्य से डरा नहीं हूँ
इसीलिए मैं मरा नहीं हूं
जिनकी परतें खोल रहा हूँ
वो कहते हैं खरा नहीं हूँ
● बन गए जुगनू सभी आफ़ताब तेरे शहर में
चुभते हैं काँटों से ज्यादा गुलाब तेरे शहर में
● उनके द्वारा अभिव्यक्त सार्वजनिक पीड़ा का एक नमूना –
मन में चाँद और तारों की ख्व़ाहिश नहीं है
हम वहाँ भीगे जहाँ बारिश नहीं है
● सूर,तुलसी हूँ न केशवदास हूँ मै
भूख हूँ व्याकुलजनों की प्यास हूँ मैं
● हर तरफ रोटी नून के किस्से
माह हफ़्ते दो जून के किस्से
● आदमीं झूठ का पुलिंदा है
मर चुका कहने भर को ज़िन्दा है
उनके नवगीतों/समकालीन गीतों पर यदि दृष्टि डालें तो उनकी बेबाकी और प्रखर नज़र आती है उदाहरण के तौर पर –
● सालों धोबी घाट रहे हैं
हम बुधिया की खाट रहे हैं
● भूले भटके आ जाते हैं
मुँडेर पर हरकारे
सूनी गलियाँ ,उदास पनघट
खाली हैंचौबारे
●जितने सिक्के हैं खोटे हैं
ऐसे लोगों का क्या कहना
छल प्रपंच है जिनका गहना
जो बिन पेंदी के लोटे हैं
● घाव पुराना भरा नहीं है
भीतर का भय मरा नहीं है
जिसको धारण किया हुआ हूँ
वो सोना भी ख़रा नहीं है
● कुछ पाने की चाह नहीं है
जीवन में उत्साह नहीं है
जिस पथ पर निर्भीक चल सकें
ऐसी कोई राह नहीं है
हिंदकी (हिन्दी ग़ज़ल ) एवं गीत के कुशल चितेरे डॉ.माणिक विश्वकर्मा’नवरंग’ लगभग हर विधा में पारंगत हैं। उनका रचना संसार व्यापक एवं वैविध्यपूर्ण हैं। अभी उनपर बहुत काम होना बाकी है। हम उनके अच्छे स्वास्थ्य एवं उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
डॉ.सुधीर शर्मा
अध्यक्ष ,हिन्दी विभाग,
कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय
भिलाई नगर ,दुर्ग (छ.ग.)
मो.नं.94253 58748

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