May 10, 2025
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सच
विजय वर्तमान

जो मैंने देखा
वह कितना सच है
पता नहीं ।

जो मैंने सुना
उसके सच होने की
सम्भावना कितनी है
पता नहीं ।

जो मैंने कहा
पता है मुझे
वह सच नहीं है सौ – टका
मुँह से ही निकला वह मुंदा – ढका ।

सच मानिए
सामने आने वाला सच
प्रायः
सच्चा नहीं होता ।

× × ×
सुख

दुःख मेरे ,
रोये तुम ।
विस्मित , लज्जित और ठगे से
लगे भागने सब दुःख सरपट ।

सुख तेरे ,
नाचा मैं ।
फिर तो आने लगे सगे से
बिना बताये सब सुख झटपट ।

कितना सरल है
सुखी होना ।

***
सही पता

सूरज रोज़ सुबह
हमारी छत पर रखे
झरबेरा के गमले पर
ऐसे उगता है
जैसे यह गमला ही पूरब हो ।

सूरज रोज़ शाम
हमारे आँगन के एक कोने में
ऐसे डूबता है
जैसे यह कोना ही पश्चिम हो ।

दुनिया को नहीं पता
सूरज , गमला और आँगन को पता है
पूरब और पश्चिम का
सही पता ।

***
सिद्ध

सुबह हुई ,
सिद्ध हुआ
सूरज निकला है ।

शाम हुई ,
सिद्ध हुआ
सूरज डूब गया ।

सृष्टि में सबकुछ
कुछ – न – कुछ
सिद्ध करने के लिए होता है ।

तुम कब सिद्ध करोगे
अपने होने को ।

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