November 18, 2024

शुभ मुहरत अक्षय तिथि हावय, कहिथें वेद पुरान।
एही दिन तो सतयुग त्रेता, रचे रहिस भगवान।।

चलौ मनाबो जुरमिल अक्ती, पावन तीज तिहार।
कर बिहाव पुतरा पुतरी के, सुग्घर साज सँवार।।

अक्षय फल मिलथे ये दिन तो,करना चाही दान।
जइसन देथे तइसन पाथे, पुण्यात्मा इंसान।।

प्यासा पंछी बर बिरछा मा, भरे सकोरा टाँग।
प्याऊ खोले भरदे करसी, राही पीही माँग।।

हे बइसाख मास मा गरमी,मनखें बइठ थिरायँ।
छोटे मोटे कुँदरा छादे,आसिस देके जायँ।।

कोनो दुखिया के बेटी के, करदे आज बिहाव।
भुँखहा ला दू कौर खवादे, लेही तोरे नाव।।

दीन हीन के आँसू पोंछे, होही गंगा स्नान।
तिरथ बरत घर मा हो जाही, सफल जिंदगी मान।।

मन पतंग के डोरी थामौ, उड़ही भरे उमंग।
अनुशासन जीवन मा आही,सुख नइ होही भंग।।

देश प्रेम के अलख जगाबो, नइ त्यागन संस्कार।
भेदभाव के खाई पाटे, समता भाव उभार।।

चोवा राम वर्मा ‘बादल ‘
हथबंद, छत्तीसगढ़

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