आंखिन देखि अउ कान सुनि …
।।लासा ले बतासा ले ।।
अड़ताफ म नाम्ही गिधपुरी बजार सम्मार के भराथे । जिहां चारो खुंट के पलारी खरोरा तिल्दा बलौदाबजार आरिंग शहर के बैपारी सेठ साहुकार मन आनी बानी के जिनिस धरे आथे अउ 10-12 गांव के निस्तार ये बजार ले चलथे। महानदी खड़ के ए पार चातर राज मं डोंगरदई बिराजमान हे ओकर असीस ले तइंहा पाहरों ले आबाद ये डीह -डोंगर जस के तस हे। भले महाकोशल के राजधानी सिरपुर भठ गे । तभेच तो जुनवानी के भटपहरी मन ल छरकथे अउ अकारतेच रहिथे कि इकंर छइंया परही ल इहुचों भठ जाही । सिरपुर ल भठा के इहा माड़ा बनाय हवय येमन यहाँ तरा के गोठबात चलते रहिथंय। जुनवानी गिधपुरी आजकल एके ठन गांव कस जुर गे हवय ।
दुनो गाँव के सुनता अउ झगरही तको अड़ताफ म बजारेच बानी नाम्ही हवय। एक खार अउ भाठा जुरेच हवय अब तो बस्ती तको जुरगे काबर कि कत्कोन बस्ती छोड़ के भाठा म बस गे। अब तो भाठा देखे बर नोहर हवय। न इते धाप भर भाठा म कोरिया दहिंगला चिकनी परसा अउ चार रवार रहिस महकत मनभावन वृदांवन सरीख जगा जिंहा बनकोयली पड़की सुआ सोलहई ,नाकर ,सारस तीतुर ,मंजुर , मैना आबाद चिहुकत रहय। भठेलिया , हिरना, मिरगा, कोलिहा हुर्रा गाहबर कभु कभु बरहा किंदरय बेंदरा मन रहय फेर गांव भीतर कभु न इ आत रहिन उकर खाय पीए के जिनिस से महानदी कछार भरे रहय। गांव के पतालु नरवा के कंछ बरोबर पानी सदा दिन बोहात रहय चितावर चुहरी अउ पताल फोड़ कुआ के भभका ठ उर ठउर म रहय। तेकर बीचोंबीच गाड़ा रावन अउ धरसा संघरा परे रहय ओमा दु जगा अमली के बड़का रुख सुसताएं के ठउर रहिन गौतरिहां अउ बजरहा मन एक घन जुड़ छंइहा मं ब इठ मंझन के घाम घालय । एक सरवर पानी मं बुंद नइ टपकय ।तेन पाय के कभु -कभु देवार, मित्ता भाट बसदेवा मन के डेरा तको बनय । मय तो सउहांत
लइकई देखे रहेंव अउ दु चार लबेदा मार गुड़ कस मीठ अमली चिचोरत मगन होय रहेंव। आजकल सब कटा गे अउ ओखर जगा फर्र्स बोड्डल के खदान खना गय। ऊपर मलबा म गंगा अमली लहालोट तको फरय अउ बोइर मन के रवार लग गे हवे ।जब ले सड़क बनिय तब ले पथरा किरचा /मलबा के मारे अउ ओमा बंबरी बोइर के झंझकुर होगे हवय । छेरका मन ओ डहन छेरी चरात आजो ले देख उ दे जथे। हां जेन पतालू नरवा कछार म बंगलसुंधुल , शंख पुष्पी लाजवंती चरौटा मिंझरे हरियर चारा उपजय अउ बाखा के आत ले गाय भैंसी चरय ओहर ममहौना दुध दही लेवना अउ घीव नंदा गय । हमन भागमानी रहेन कि बचपना म पीए खाए मिलय ।
अब के दुध दही घीव म ओ सुवाद नीए न ओ सुगंध ओ गुण । शहर के मुर्रा गाय भैंस के दुध ल तो बने हमर कुंआ के पानी हवे। तिहार बार गाँव जाथन त ओकरे पानी म गुजारा चलाथन भले बोर खना गे अउ नल लग गे हवे ।फेर आजो ले कुआँ बउरावत हवे।
हमर दादी सतवंतीन बतावय कि गाँव के मनसे मन चुहरी अउ चितावर के पानी पीयय ।कुआँ के पानी कुआंसी लागथे कहिके ओगरत मीठ पानी अमरीत बरोबर पीयय अउ सौ बछर बिना दवाई -दारु के मगन जीयय।
जब अकाल- दुकाल परिन त चितावर- चुहरी के ओगरा थिरके धरिस अउ दहरा म भंइस – भैंसा मन कब्जा लिन तभेच कुआँ के पानी के पुछ -परख बढे लगिन !
छ: फुट्टा गोरिया- नरिया मुड़ भर लउठी धोवा के धोती अउ कोसा के कुरता म अल्फी डारे भजनहा बबा हर देवता बरोबर दिखय त हमर चील गौटिया काहत लागय के बेटी सतवंतीन हर तको गल भर रुपया पुतरी बांह म पहुँची , हाथ एठी , कनिहा मं करधन , पांव लच्छा, पैरी पहिने कान मं सोन लुरकी ढार मांग मं सेंदुर भरे देबी मन सही खमसुरत रहिन । ओहर कुलकत चरिहा म धान जोते सवारी गाड़ी मं जावर -जोड़ी संघरा बजार जाय त देखनी उड़ जाय बजार हर देवभूमि कस लगय। बाजर हर गजमज -गजमज करय। हमर भजनहा रामचरन बबा हर जब ये धरसा मं नाहकय अउ संग मं दादी रहय त टेही मार ददरिया गाय धर लय –
अकरस के नांगर दबाए नइ दबय
तोर मोर ए मया हं मयारु छुपाए नइ छुपय …
भजनहा ह बया जय त ओला बरजत कहे – तोला लाज नी लागे का ?” कले चुप्प नाहक ओती सियान सामरत मन आत होही … कोरिया रवार के गमकत फूल कस उज्जर दादा- दादी के मया रहिन … ओकर कहर -महर परिवार मं आजो ल बगरे हवय ते पाय के आज कुछु काही लिख- पढ, गा -गु सकत हवन …
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85-90 बछर के हमर दादी हमन ल जी जी अंतर मया करय अउ गोरसी ले के बरवट मं सींग दरवाजा मं सुतावय … मोर बनेच सुरता हवे 1980 के बात आय तब घर म बिजली न इ लगे रहिस कंडील हर झिमिर झिमिर बरत रहिस ओला भुताय बर मोला कहिन कि आंखी हर कसुवात हे अउ अंजोर हर कम जादा होत हे जा फूक के भुता दे … मय कहेंव कहनि कबे तब ओहर झटकुन तियार होगे अउ कहन लगिस एक शहर मं … मय कहेव अपन गांव जगा के सुना तो ओ कहि स – एक घांव गिधपुरी बजार मं बइला पसरा तीर अमली ,मउहा , डोरी, लासा, बंबरी बीजा ,चार -चिरौंजी , परसा फर कोसा बदलइया मन नून बोरा धरे अउ , बतासा – सोल काड़ी बेचइया मन के तको पसरा लगय । धान कोचिया तको बोराबंदी लेवय या तीन गोड़िया आहड़ा म पथरा के बोड्डल मं धान तौलत बैपारी मन बइठे राहय । एक दूसर ल देख खी -खी ,खू -खू करय मुस्काय अउ हमेरी झाड़य … ओमन जोर जोर से चिल्लाय –
“लासा ले
“बता साले ”
कोन्हो तिखारय त कहे घर लय लासा ले लव कहत हवन
बतासा ले लेव कहत हवन कहिने बात ल संवारे धर लेय। बड़ सोशन करय अउ मुड़ कट्टी बाढी देवय .. तिही पाय के शहर म उकर बड़े बडे घर हवेली बने घर लिस … अउ एती धनहा मन म कतको खातु कचरा डार जांगर टोर गाड़ा भर धान न इ उतरय …
भगवान हर किसान मन बर नथागय हे लगथे। ओहर गहिर गुनान म बुड़ जाय । अपन सियनहीन दाई के एसन दुख भरी गोठ सुन देख मय बात ल आन डहन फलका देन अउ भजन सुनाय ल कहन त मगन मंगल भजन गाय घर लेवय ।सित्तो ल इका संग ल इका मिल जाय। हमन ल अभागा बना के सन 1981 म दादी माँ सतवंतीन सतलोक सिधार गिन।
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सच तो ये कि मस्तिया के ओ बैपारी महाजन मब नंदिया ओ पार के आदिवासी मनसे ल लूटत -लाटत हवे । अउ हा – हा -बक -बक करके मनसे मन के मान मर्दन करे के जोखा मं लगे तको राहय … चोरी छिपे अफीम गांजा बेचय … मतलब बाजार ल अपराध के अड्डा बना दे रहय ये सहरिया मन … तिहरहु बजार म त पाकिटमार तको हबर जाय मेला ठेला कस।
महानदी ओ पार खमतराई सेनकपाट सिरपुर जलकी माहकम रयतुम डहन ले जंगलिहा मन वनोपज जिनिस धर नंदिया नाहक बपुरा मन आवय कोन्हो मन कांख म कुकरी -कुकरा चपके बीड़ी -चोंगी पियत पटकू -पंछा पहिने उघरा आ जय । मंदहा गंजहा ,चोंगिहा मन सोझ्झे लुटा -लुटि के भी मगन घर लहुट जाय !
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एक बेर छोटे बबा हर जोन सातवीं म प्रथम आय रहिन अउ अपन ढेड़सारा मंत्री नकूल ढीढी के संगत मं अम्बेडकर संग मिलके जबर समाज सेवा करत रहिन – लासा ले बतासा ले कहत बैपारी मन सो देखा साले कहत भिड़गे …. संग मं भरोस ननकू तनगू तोरन फत्ते अउ मनराखन तको रहिन …बलोदिहा सोनार दुकान म पलथी मारे ब इढे सोभित बबा ल गम चलिस त अपन गोटानी धरे आ गय .. अब बरजे बुरजे लगिस ओकर पाछु दलिप गौटिया आके चुप्प खड़े हो गय ।
नवा नवा महंती पाए खरतर पढे लिखे नंदू के रुवाप अड़ताफ म फैले रहिस … समाज सुधार के बुता ओकर जग जाहिर रहिस गुरुघासीदास जयंती के कर्णधार रहिन संगे संग जोर- जुलुम के खिलाफ लडई लड़त रहिन ओहर जवनहा मन ल सकेल पलारी ,बलौदा, तिल्दा ,आरंग , खरोरा के बैपारी -महाजन मन के शोषण के विरुद्ध आंदोलन तको चलाय रहिन कि गरीब -गुरबा मनसे मन ल लूटत हवय। सही दाम देव नइते बाजार बंद करवा दे जाही । ”
त अंग्रेज सरकार के समे ले इलाहाबदिया पंडा ल मलगुजारी मं बइठारे रहय ओमन के मनसे आके बनेच झगरही मता दिन… गदर मात गे रहिन –
तोर गाँव के बजार नोहय असनेच करहू त गाँव म खुसरन
नइ देन … ले दे के तोर भजनहा बबा हर बात संवारिन नइते बात पुलुस दरोगा तक चले जात रहिन …बात आय -गय होगे । अउ महिनो बजार नइ भरिस ।
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तीसर महिना एक पलारी थाना म पदस्थ खिलारी दरोगा हर घोड़ा साजे दो दौड़हार सिपाही संग जुनवानी आइस ।अउ पतासाजी करिन … ओहर इहा देवता सरीख मनखे के मान -गुण अउ बेवहार देख मोका गय । अउ सफा -सफी रिपोर्ट बनाइन । अउ कछु न इ होवय कहिके भरोसा देके अपन संग दौड़हार दू जवान संग वापिस चल दिन ।
ओ साल दोनो गांव के मेड़ो के खेत म धान तको न इ बोवाइस ।
अउ त अउ अंग्रेज जमाना के इस्कूल म जुनवानी के लरिका मन के नांव तको कटा गय हमर बबा बिचारा मन के पढ़ई -लिखई छूटगे। ओ पीढ़ी निरक्षर होगे !
कई साल तक कटा -किटी अउ इसगा -पारी चलिन ले -दे हालात समान्य होइस ।
आजादी के बाद हमर ददा (जन्म १९४८ )- कका मन के बखत फेर स्कूल म भर्ती होना सुरु होइस … त ओकरे परतापे ताऊ जी मन वकील अ बनगे बाबु ह प्रचार्य बनगे अउ हमन इहां तक हबर गेयन। नइते हमुमन खदान मं पथरा ठठातेन या नांगर जोतत गाँव म परे डरे रहितेन।
जब मय दसवीं म रहेंव त हमर छोटे दादा महंतबबा के बेटा रयपुर वाले वकील के बडे बेटा बैंक मनीज्जर राजेन्द्र भैया के बिहाव लंका दुरिहा राजनांदगांव के डोंगरगांव बुलाक के गांव हैदलकोडो में होइस। मय दसमी पढ़त रहेंव अउ बरतिया गे रहेव सर्विस बस मं। ब इठे ब इठे कत्कोन झन के गोड़ अकड़ के फूल गे रहय 5-7 घंटा के जात्रा कमती न इ होय फेर गंज मजा आत रहिस … हाथ गोड़ चंगुरे सियान बरतिया मन कहे जान दे ददा यहां कहां कोड़ो – बोड़ो राज मं लानत हव … फेर जीयत हन त यहु राज ल देखे लेथन… पहली बेर तो लंका दुरिहा नता रिश्ते बनत हवय ये सेती मन उछाहित रहय ….ओ गाँव मं जा के जानेन कि जोन हमर भौजी होवत हवय ओहर उही खिलारी दरोगा साहब के नतनीन आय । जोन कभु घोड़ा चढ़के ब्रिटिश जमाना में जाँच पड़ताल करे जुनवानी आय रहिन … । का संजोग होथे अउ का जोड़ी तय हो जथे … सब साहेब के किरपा हे।
सरलग …
डाॅ. अनिल भतपहरी / 9617777514