जयंती : छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्नद्रष्टा डॉ खूबचंद बघेल
पियूष कुमार
छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम संकल्पना और उसे कार्यरूप देने का आरंभिक प्रयास डॉ खूबचंद बघेल जी ने किया था। 19 जुलाई 1900 को ग्राम पथरी (रायपुर) के एक संभ्रांत परिवार में जन्मे खूबचंद 1920 में जब वे नागपुर में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे थे, कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया था। वहां तत्कालीन बड़े राष्ट्रीय नेताओं को देख सुनकर आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरित हुए और पढ़ाई छोड़कर असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए थे। 1930 में गाँधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में जब छग के सारे अग्रणी नेता जेल में डाल दिये गए थे तो इन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर आंदोलन अपने हाथ मे ले लिया था। इसके फलस्वरूप इन्हें भी जेल हुई।
इसी आंदोलन के द्वितीय चरण में डॉ खूबचंद अपनी माता और पत्नी के साथ सत्याग्रह में भाग लिया और वे सभी गिरफ्तार किए गए। इसमे उन्हें 6 माह की कठोर सजा और जुर्माना हुआ। जुर्माना नही देने पर ब्रिटिश राज द्वारा उनका समान तक कुर्क कर लिया गया था। नवम्बर 1933 में गाँधीजी जब दूसरी बार छग आये तो उनका उद्देश्य अछूतोद्धार था। डॉ खूबचंद इसमे भी अग्रणी रहे और उन्हें मप्र हरिजन सेवक संघ का मंत्री बनाया गया। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रियता के लिए उन्हें फिर जेल हुई। इस बार उन्हें ढाई वर्ष के लिए सजा हुई।
आज़ादी के बाद वे विधानसभा सदस्य रहे। 1956 में राजनांदगांव में नेताओं और साहित्यकारों के सम्मेलन में ‘छत्तीसगढ़ी महासभा’ के गठन की घोषणा की गई। डॉ खूबचंद बघेल इसके अध्यक्ष बने। उन्होंने इसके माध्यम से छग के किसानो को संगठित किया और छग के निर्माण के लिए सतत प्रयत्नशील रहे। उनके रहते तो छग राज्य निर्माण न हो पाया पर 1 नवम्बर 2000 में उनकी संकल्पना साकार हो गयी। डॉ बघेल साहित्यकार भी थे। उन्होंने 1935 में ‘ऊंच नीच’ नाटक लिखा था। उनके लेखों को केयूर भूषण ने ‘छत्तीसगढ़ का स्वाभिमान’ नाम से संपादित किया है। केयूर भूषण ने उनके बारे में लिखा है, “डॉ साहब छत्तीसगढ़ की माटी की सर्वाधिक मोहक सुगंध थे। छत्तीसगढ़ शोषण, दमन, अन्याय और उपेक्षा से मुक्त हो, यह उनकी चिरसंचित अभिलाषा थी।”
आज डॉ खूबचंद बघेल जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धासुमन … 🌹🌹