बावा मंडी (बावा देवता) : दियाबार भोरमदेव
भोरमदेव क्षेत्र में फणि नागवंशी कालीन अवशेष बिखरे पड़े हैं,कई टीले उत्खनन की बाट जोह रहे हैं, मगर समुचित प्रबंधन न होने के कारण इनके अस्तित्व खत्म होते जा रहे हैं। कृषि क्षेत्र और अन्य निर्माण का विस्तार इनको निगलते जा रहा है। बहरहाल यह प्रशासन स्तर का काम अधिक है।
भोरमदेव में ग्राम छपरी से घोंघा-बोड़ला मार्ग पर लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर सड़क के दायीं ओर दियाबार पहाड़ के नीचे एक टीला है जिसमे हाथ जोड़े राजपुरुष की एक खंडित मूर्ति है स्थानीय लोग जिसे बावा मंडी(बावा) देवता कहकर पूजा करते हैं। टीले में घनी झाड़ियां उग आयी हैं इसलिए इसका स्वरूप दिखाई नही देता, मगर करीब से देखने पर ईंट और प्रस्तर खण्ड के अवशेष दिखाई पड़ते हैं। एक दो जगह को बाद में खोदने के लक्षण दिखते हैं, जिसका कारण बहुधा धन प्राप्ति के लालसा में ऐसे जगहों के साथ छेड़छाड़ किया जाना है।इससे पुरातात्विक अवशेषों को क्षति पहुँचती है और यह गैरकानूनी भी है।
बहरहाल यदि इस टीले का उत्खनन किया जाय तो पुरातात्विक अवशेषों के प्राप्त होने की संभावना है।आकार में छोटे होने से ऐसा प्रतीत होता है कि यह किसी मंदिर के अवशेष हों। एक बात और जहां तक मेरी जानकारी है पूर्व के अध्येताओं ने इस स्थल का जिक्र नही किया है।
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#अजय चन्द्रवंशी, कवर्धा(छत्तीसगढ़)
मो. 9893728320