किम चोंगसिक किम
अदीबयात्रा के प्रति आभार। कुछ ही पहले, संपादक इंदुकांत आंगीरस जी का फोन आया और उन्होंने कविताओं के मेरे द्वारा किए गए अनुवाद प्रकाशित करने की इच्छा जाहिर की। बहुत अच्छा लगा।
कोरोना काल के दिनों में मैंने अपने प्रिय कवि किम सोवल की कविताओं का एक पुस्तक भर अनुवाद किया है। उसी में से कुछ भेज दीं।
किम सोवल
किम सोवल जिनका असली नाम किम चोंगसिक किम, था, का जन्म 1902 में, आज के उत्तर कोरिया के एक छोटे से शहर में हुआ था। 24 दिसंबर, 1934 को महज 32 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। किम सोवल ने खुद को पैसा कमाने की दुनिया के लिए उपयुक्त नहीं पाया। यह सब उनके अवसाद का कारण बना। वह शराब पीने की आदत की घिरफ्त में आ गया। लेकिन ये सभी नकारात्मक परिस्थितियाँ उन्हें कोरिया की प्रारंभिक आधुनिक कविता के सबसे लोकप्रिय और प्यारे कवियों में से एक बनने से नहीं रोक सकीं। उन्हें सूक्ष्म और नाजुक छंदों के स्वामी के रूप में जाना जाता है। 1920 के दशक में किम सोवल जब मुश्किल से 17 साल का लड़का था, तो उनकी कुछ सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली और चर्चित कविताएं जैसे “फूल पहाड़ों में”, “स्प्रिंग ट्रैवलर” आदि उस समय की सबसे प्रतिष्ठित पत्रिका “द क्रिएशन” में प्रकाशित हुईं। एक और शक्तिशाली कविता “द अज़लिया” 1922 में प्रकाशित हुई थी। 1920 वह वर्ष था जब औपनिवेशिक प्रशासन ने दमनकारी नीतियों में ढील दी थी और कोरियाई लोगों को साहित्यिक और बौद्धिक गतिविधियों के आयोजन की अनुमति दी थी। कविताओं का उनका एकमात्र पुस्तक- संग्रह छिंदालयकोट, (Azaleas) है जो कोरिया में बीसवीं शताब्दी में प्रकाशित कविताओं की चौदहवीं पुस्तक है। कविताओं को लोक गीत-शैली के गीत-संगीत के साथ रेखा, वाक्यांश, उच्चारण और स्वर के उल्लेखनीय अर्थ के लिए सराहा जाता है। शीर्षक कविता यानी छिंदालय फूल को कालजयी कविता के रूप में माना जाता है।
किम सो वल की कविता लोकगीतों यानी पारंपरिक लोक गीतों (मिन्यो) और लोक परिदृश्य से भरपूर है, इस कारण उन्हें कोरिया के वर्ड्सवर्थ के रूप में भी जाना जाता है। किम सो वल ने अपनी कविताओं में एक युवा की अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के प्रयास के रूप में राष्ट्रवादी भावना की अभिव्यक्ति भी की थी।
दिविक रमेश