नया सवेरा :”सुन्दर तस्वीर”
हम सबने,एक चादर ओढ़ रखी है,
चादर के हटते ही यदाकदा,
झीनी-झीनी सी तस्वीर सामने आती है ।
बड़ी शिद्दत से जिस सुन्दर तस्वीर को,
हम दिल में सजाते हैं,
जिस तस्वीर को सँवारते हैं,
वह लम्हों में टूटकर बिखर जाती है ।
जिस तस्वीर को तुमने दिल में बिठाया है ।
ईश्वर ने ही उसे संग जीने के लिए बनाया है ।
नई सुबह की स्वर्णिम किरणों के संग ।
करते हैं हम तुम्हें सौम्य प्रात: वंदन ।
साईं राम, राधे- राधे, जय श्रीकृष्णा ।
त्र्यम्बक राव साटकर “अम्बर”
11-09-2021