दिल की खिड़की में टँगा तुर्की
लेखक :- रुपाली नागर ‘संझा’
विधा :- यात्रा संस्मरण
अपनी पहली साँस से लेकर अंतिम साँस तक यूँ तो हर कोई अपनी जीवन यात्रा से गुजरता है। चाहे वो उतार-चढ़ाव वाली हो,घुमावदार हो या सीधी सपाट। इस मायने में हर इंसान सैलानी। लेकिन ताज्जुब ये कि अंतिम पड़ाव तक पहुँच जाने पर भी अधिकतर ये जान नहीं पाते कि वो एक सुहाने सफ़र का हिस्सा थे। वे बस चलते चले जाते हैं… ऐसे जैसे चलता रहता है कोल्हू का बैल कोई।
इस चलने में तेल बनता रहता है,पता पर उनको चलता नहीं, काम उनके आता नहीं।
दुनिया मगर इन जैसों के काँधों पर बैठ नहीं चलती। अपने विगत इतिहास से लेकर अब तक, वो चलती- गमकती रही है उन खोजी-मनमौजी घुमंतु लोगों की बदौलत जो दूर-दूर तक ना जाने किस अनंत की तलाश में रास्ते नापते रहे हैं। हमारे पुरखों की यात्राओं से ही हमारी दुनिया का ये नक्शा उजागर हुआ है।मेरी यह यात्रा भी उनके नक्शे-कदम पर चलकर उनकी यात्रा को एक कदम और आगे बढ़ाने की एक कोशिश थी। मेरे इस यात्रा वृत्तांत में दुनिया के इसी नक्शे पर ठीक दिल की जगह बसे देश तुर्की का बखान है। मैं उम्मीद करती हूँ ग्लोब का ये अनूठा दिल मेरे दिल की खिड़की में टँगकर विंडचाइम की तरह मीठी ध्वनि से आपका दिल बहलाएगा।
साहित्य विमर्श प्रकाशन से भविष्य में प्रकाशित होने वाली इस नॉन-फिक्शन किताब का नाम है – दिल की खिड़की में टँगा तुर्की। यात्रा संस्मरण विधा की इस पुस्तक की लेखिका हैं – रुपाली नागर ‘संझा’ Rupali Nagar । रुपाली जी इस यात्रा के संबंध में लिखती हैं –
तुर्की के नौ शहरों की भौगोलिक और ऐतिहासिक यात्रा नव रस से पगे एक दिलकश कलेवर में !!
क्योंकि….
“हर शहर का अपना एक मिज़ाज होता है,
वो उसमें रहने वाले लोगों में साँसें लेता है !!”
रुपाली जी की यह किताब पूर्व में किंडल पर प्रकाशित हो चुकी है लेकिन पेपरबैक में यह संस्मरण उससे वृहद और दिलचस्प आने वाला है, ऊपर से नई साज-सज्जा में भी यह इसके पाठकों को यात्रा पर ले जाने वाला है। रुपाली जी की दो रचनाएँ – इस पर मैं और ऑनलाइन डेटिंग अप्परॉक्स 25:35 – हिंदी युग्म (ब्लू) से पेपरबैक में प्रकाशित हो चुकी हैं।
इस पुस्तक का लिंक निम्न है, जिस पर जाकर, दिल का बटन दबाकर आप इसे विशलिस्ट में जोड़ सकते हैं।
https://www.sahityavimarsh.in/dil-ki-khidki-mein-tanga-turkey/