“चाँद से बाते”
आ चाँद तुझे मैं बताती हूँ,
मेरे दिल का हाल सुनाती हूँ।
आ चाँद तुझे मैं बताती हूँ,.
उसकी याद मुझे,सताती है।
दिल के हालात बड़ा रुलाती है।
मैं ढूंढू उसको दरबदर,
जहां मिलते थे बनके हमसफ़र।
वो साहिल चुप,और तन्हा डगर।
मैं ढूंढू उसको दरबदर…..
ये सूना रास्ता कांटें चुभाती है।
उसकी याद मुझे,सताती है।
आ चाँद तुझे मैं बताती हूँ,
मेरे दिल का हाल सुनाती हूँ।
अब ये रात बड़ा बेगानी है,
मेरी आँखों में बहता पानी है,
तेरी यादों की ये निशानी है।
सागर सा खारा पानी है।
प्यास मेरी अब न बुझाती है।
धड़कन रुक रुक सी जाती है।
उसकी याद मुझे,सताती है।
आ चाँद तुझे मैं बताती हूँ,
मेरे दिल का हाल सुनाती हूँ।
उसकी यादों के ये नज़्म सुहाने है
लिखे थे उसकी याद में पुराने है
बीत गए वो ज़माने है।
उसकी याद में लिखती जाती हूँ
कुछ फरियाद खुदा को सुनाती हूँ,
आ चाँद तुझे मैं बताती हूँ,
मेरे दिल का हाल सुनाती हूँ।
“प्रकृति”दीपा साहू
तिल्दा- रायपुर( छत्तीसगढ़ )