अंतिम आँसू
आपने कहां जिस दिन जरूरी बात होगी उस दिन मेरे लिखे ख़त आप तक पहुँच जाएंगे।और आप उस दिन ज़रूर पढ़ोगे।कृति ने बहुत खत लिखे कार्तिक को पर उसका कोई जवाब नहीं आता था।वहां कोई नेटवर्क सिस्टम नहीं था जो उस गांव को आधुनिकता से जोड़ता जहां कार्तिक रहता था।कृति को खत ही लिखना पड़ता था।पर जवाब आने का नाम न था।कभी कभी कार्तिक जब शहर आता तो कॉल पे कृति और कार्तिक की बात हो जाया करती।पर वो भी पूरी न हो पाती कभी दोंनो के बीच छोटी छोटी बातों पर झगड़ा।तो कभी और कुछ,कृति को कार्तिक से बहुत कुछ कहना होता पर कह ही नहीं पाती।और न कह पाने के कारण वो बेचैन हो जाया करती,उसका मन कहीं न लगता।उसकी लाइफ पर बहुत प्रभाव पड़ रहा था।कार्तिक बहुत प्यार करता था कृति से पर बातें न हो पाती दोनों की।और कृति के पास कार्तिक के अलावा और कोई नहीं था जिसे वो दिल के करीब मानती थी।वो न पढ़ पा रही थी न ही किसी और पर किसी और काम पर ध्यान दे पा रही थी।उसका मन परेशान रहता था।उसका मन हल्का ही नहीं हो पाता था जिस तरह वो कार्तिक का साथ चाहती थी उस गांव में जाने के बाद कार्तिक का साथ भी कृति की तन्हाईओं को बढ़ा रहा था।वो साथ होकर भी पास होकर भी जैसे बहुत दूर महसूस हो रहा था।कृति फिर से रिसने लगी थी।कृति फिर से अंधेरों की तरफ खींच रही थी।वो कार्तिक को समझा ही नहीं पा रही थी।कि कार्तिक का प्रतिउत्तर उसके रिसते दर्द पर मरहम का काम करता है।पर कार्तिक का काम बहुत स्ट्रेस वाला होता था वो कहता।
कृति तुमसे मैं जितनी चाहे बातें कर सकता हूँ।पर तुम्हारे खतों का प्रतिउत्तर नहीं हो पाता।कृति चुप रह जाती और उस अनकहे अपने दर्द को चुप चाप पी जाती पर रिसती रह जाती वो कार्तिक को कैसे समझाए।थक चुकी कार्तिक क्या है उसके लिए बताते बताते।एक दिन कृति ने कहा कभी ऐसा हुआ कि मुझे आपकी ज़रूरत हो और बात न हो पाई और मैनें आपको खत लिखे और आपने नहीं देखे तो क्या होगा।कार्तिक ने कहा। और उस दिन ऐसा भी हो सकता है न मैं तुम्हारा खत देख लूँ।कृति ने कहा- हो सकता है।कुछ दिन बाद कृति के लिए रिश्ता आ गया उसके भाई और परिवार तैयार भी हो गए।अब कार्तिक से बात कहां उसने खत लिखा।पर इस बार भी उसने नहीं देखा।कृति इंतज़ार करती रही।कि कार्तिक कुछ कहे तो अपने भाई को बता दे।पर कार्तिक ने कोई उत्तर नहीं दिया।और कृति कुछ न कर सकी।उसके प्रतिउत्तर न आने से कृति का हौसला टूट गया ।वो किसके सहारे कदम उठाती उसका सहारा तो कार्तिक ही था उसका सबकुछ कार्तिक था।उसने उसे अपना पति मान लिया था।पर कार्तिक का इस तरह से उसे नज़रंदाज़ करना उनकी ज़िन्दगियों में तूफान ले आया।कृति रिस रही थी उसे किसी और से शादी नहीं करनी थी।मगर जिसका सहारा था उसने समय रहते उत्तर ही न दिया।और उसकी सगाई की डेट फिक्स हो गई।तभी छुट्टियों में कार्तिक शहर आया।और कृति से मिला।पर कृति की हालत ज़िंदा लाश की तरह थी।उसके पास सिर्फ चुप्पी थी।कार्तिक ने बहुत सवाल किए।पर कृति ने कोई जवाब नहीं दिया।वो अंदर से मर चुकी थी।वो कार्तिक को बहुत चाहती थी उसके बिना जीना उसके लिए सिर्फ मरना था।जो शादी करने जा रही थी।
वो सिर्फ एक चलता फिरता मरा हुआ शरीर था जिसे वो इस नीड़ से उस घोसले तक पहुँचा देती बस।कृति ने कुछ नहीं कहा।तब अचानक उसके बैग से वो खत गिरे जो कृति ने कार्तिक को भेजे थे।उसने उन्हें पढ़ा।और आज उसे अहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी गलती की थी।उसका समय पर उन खातों को न देखना कृति को तोड़ चुका था।अब कृति के पास अंतिम आँसुओ के अलावा कुछ नहीं थे।वो कार्तिक के सीने से लग पसर गई और जैसे जीवन भर के आँसू उसने उससे लिपटकर रो दिए।और बेहोश सी हो गई।उसने उसे हॉस्पिटल पहुँचाया और उसके दोस्त को बुलाकर उसके पास उसे छोड़ा और उसके भाई के पास गया।सारी बातें उसने उन्हें बताई।मगर भाई कैसे विश्वास करे कार्तिक पर।कार्तिक ने कुछ समय लेकर हर जतन किए और आखिरकार कृतिका का भाई मान गया।और दोनों की शादी हो गई।
इसलिए कहते है कभी किसी को नज़रंदाज़ न करें छोटी से छोटी बात भी कभी कभी किसी की ज़िन्दगी को प्रभावित करती हैं
समय रहते अपने अपनो के भाव को समझे उन्हें कभी यूँ ही न ले।कोई आपको बहुत चाहता हो तो उसकी कद्र करे।
दीपा साहू “प्रकृति”
तिल्दा रायपुर( छत्तीसगढ़)