November 21, 2024

“दूसर पुण्यतिथि मा विनम्र श्रद्धांजलि”

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सुरता – श्री रघुवीर अग्रवाल “पथिक”

पथिक जी के जनम जन्म 4 अगस्त 1937 के ग्राम मोहबट्टा मा होइस। इनकर पिताजी के नाम नरसिंह प्रसाद अग्रवाल, माता जी के नाम अरुंधति देवी अग्रवाल अउ धर्मपत्नी के नाम निरूपण अग्रवाल हे।
पथिक जी हिंदी और अर्थशास्त्र मा एम. ए. करे रहिन। उन मन “साहित्य रत्न” के परीक्षा घलो पास करे रहिन।
बी.एड. करे के बाद दुर्ग अउ विद्यालय मा अध्यापन के कार्य करिन। अगस्त 1995 मा बीएसपी कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला सेक्टर 2 भिलाई ले वरिष्ठ उप प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त होए रहिन। पथिक जी 15 फरवरी 2020 के हम सब ला छोड़ के ब्रह्मलीन होगिन।

पथिक जी सन 1956 ले लेखन प्रारंभ करे रहिन। अनेक कविसम्मेलन के मंच मा आप काव्य पाठ करे रहेव। दूरदर्शन अउ आकाशवाणी ले अनेक कविता प्रसारित होए रहिन। राष्ट्रीय प्रादेशिक अउ क्षेत्रीय पत्र-पत्रिका मन मा आपके रचना प्रकाशित होवत रहिन। कई काव्य संग्रह में रचनाएं संग्रहित।

पथिक जी के पहिली हिन्दी काव्य संग्रह “जले रक्त से दीप” 1970 मा प्रकाशित होए रहिस। छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह “उजियारा बगरावत चल” 2004 अउ 2009 मा प्रकाशित होइस। “काव्य यात्रा के 50 वर्ष” नाम के समीक्षात्मक पुस्तक 2011 मा प्रकाशित होइस। तेकर बाद “आही नवा अंजोर” नाम के छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह 2015 मा प्रकाशित होइस।

उत्कृष्ट लेखन बर पथिक जी ला अनेक संस्था मन सम्मानित करे रहिन। जइसे –
प्रयास प्रकाशन एवं जिला छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति बिलासपुर द्वारा साहित्य सम्मान 2004
अधिक सम्मान छत्तीसगढ़ लेखक संघ रायपुर 2008
नारायण लाल परमार सम्मान धमतरी द्वारा प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति रायपुर 2010 छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग द्वारा जगदलपुर में साहित्य सम्मान 2010 दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति दुर्ग द्वारा आदर्श शिक्षक सम्मान 1999 एवं हिंदी दिवस पर शब्द साधक सम्मान 2001 सामुदायिक विकास विभाग भिलाई स्टील प्लांट भिलाई द्वारा साहित्य सम्मान 2002 स्टेट बैंक आफ इंडिया मुख्य शाखा दुर्ग द्वारा राजहरा सम्मान 2002 गायत्री प्रज्ञा पीठ आश्रम पुलगांव दुर्ग द्वारा प्रज्ञा प्रतिभा सम्मान 2010 गांधी विचार यात्रा के अंतर्गत ग्राम पारा में साहित्यिक सम्मान 2002 निवास शिक्षक नगर चिन्हारी सम्मान छत्तीसगढ़ साहित्य समिति दुर्ग द्वारा 2012 हीरालाल का उपाध्याय सम्मान रायपुर में सितंबर 2012

रघुवीर अग्रवाल “पथिक” जी के हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी भाषा ऊपर समान अधिकार रहिस। उँकर हिन्दी काव्य-संग्रह के कुछ पंक्ति मा उँकर शैली अउ श्रेष्ठता के सुग्घर परिचय मिल जाथे –

जलें रक्त से दीप उठे ,बलिदानों की आरती।
उठो जवानो आज देश की धरती तुम्हें पुकारती ।।
(कविता – जलें रक्त से दीप के अंश)

हर सुबह यही लिखता सूरज का उजियारा
संदेश सुनाता यही रात को हर तारा।
भारत का है कश्मीर सिर्फ भारत का है
लो घूम घूमकर पवन लगाता है नारा।
(कविता – अंगार उगलने लगी सुबह की लाली भी, के अंश)

नौजवानों फिर हमें दी है चुनौती दुश्मनों ने
फिर दिखा देंगे उन्हें क्या शौर्य है तूफान का
मर मिटेंगे पर न देंगे हम कभी कश्मीर उनको
जान ले संसार ही संकल्प हिंदुस्तान का
(कविता – संकल्प हिंदुस्तान का, के अंश)

मुक्तक

पसीने से लिखो साथी नए युग की कहानी
दफन कर दो क्षमता की सभी बातें पुरानी
हमारा देश मांगे रक्त या श्रम हम उसे देंगे
बढ़ो आगे कहीं कल तक न ढल जाए जवानी ।।

मुक्तक

क्या पार हमारे भारत से टकराएगा
क्या अंधकार सूरज से आँख मिलाएगा
पाकिस्तानी शासन की अर्थी पर बैठे
भुट्टो साहब क्या ढोलक रोज बजाएगा।।

रघुवीर अग्रवाल “पथिक” जी चार डाँड़ के मुक्तक असन कविता खूब करंय। उनकर पड़ोस मा कोदूराम “दलित” जी के निवास रहिस। दलित जी उँकर चार डाँड़ के कविता ला “चारगोड़िया” नाम दे रहिन। पथिक जी ला छत्तीसगढ़ी-चारगोड़िया के प्रवर्तक माने जाथे। छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह “उजियारा बगरावत चल” ले एक चरगोड़िया –

छत्तीसगढ़ी चारगोड़िया

एक जन्म के नाता ला तुम टोरौ झन
सुनता के सुग्घर बँधना ला छोरो झन
बसे बसाई अपन देसला फोरो झन
बिख महुरा अलगाववाद के घोरव झन।

छत्तीसगढ़ी दोहा –

राजनीति ल देख लौ, आजादी के बाद
संसद म टूटत हवै, संसद के मरयाद।।

ये मंदिर कानून के, बनिस अखाड़ा आज
मल्ल युद्ध नेता करें, देखे सकल समाज।।

हंगामा के होत हे, संसद म बरसात
धक्का मुक्की तो उहाँ, हे मामूली बात

छत्तीसगढ़ी गजल

गाँव सो कर मया दुलार संगी
गाँव चल देख खेतखार संगी।
देख आमा बगइचा के शोभा
धान के खेत कोठार संगी।।
तैं गरीबी अउ अशिक्षा ला
देखबे गांव म हमार संगी।

छत्तीसगढ़ी कविता

कुर्सी फेंक, माइक टोर
अउ ककरो मूड़ी ल फोर
राजनीति म रोटी सेंक
पद अउ पइसा दुनों बटोर।
अतको म नइ काम बनय तौ
कालिख पोत दाँत निपोर
इही असीम ले हमर देश मा
जल्दी आही नवा अँजोर।

आज दूसर पुण्यतिथि मा दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति, दुर्ग के श्रद्धांजलि

आलेख – अरुण कुमार निगम

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