November 21, 2024

फ़िल्म ‘सारांश’ : महेश भट्ट (1984)

0

यह अपेक्षा की जाती है कि वृद्धावस्था में व्यक्ति आजीविका के सांसारिक कार्य-व्यापारों से मुक्त होकर अपने परिवार के बीच, उनके आश्रय में रहकर शेष जीवन सुख-शांति से व्यतीत करे। जीवन भर की मेहनत के बाद बाल-बच्चों के बीच हँसी-खुशी की ज़िंदगी हर दम्पति की चाहत होती है।यों मन के साथ शरीर भी इस अवस्था मे आराम चाहता है।

मगर ज़िंदगी बहुत से विडम्बनाओं से घिरी होती है।सब कुछ हमारे चाहने अनुसार कहां होता है! कई बार ज़िंदगी ऐसे मुक़ाम पर ला छोड़ती है, जहां से कोई रास्ता नज़र नहीं आता।दुर्घटनाएं एक पल में हँसती खेलती दुनिया को तबाह कर देती हैं। जीवन की यही अनिश्चितता कई रहस्यवादी चिंतन का कारण है।

फ़िल्म ‘सारांश’ के वृद्ध दम्पति बी.वी.प्रधान और पार्वती प्रधान का जवान बेटा जो अध्ययन के लिए न्यूयार्क गया था, की हत्या हो जाती है। इस अप्रत्याशित दुर्घटना से उनके जीवन की डोर ही जैसे टूट जाती है। कहाँ तो आँखों में हजारों सपने रहे होंगे और ज़िंदगी कहाँ ले आयी! दोनो का अन्तस् इसे स्वीकार नहीं पा रहा है।

यद्यपि श्री प्रधान हेडमास्टर रह चुके हैं, आजादी के आंदोलन में भाग भी लिया है, दृढ़ व्यक्तित्व के हैं फिर भी यह आघात उनके लिए मर्मान्तक है। वे एकदम अकेले से भटक रहे हैं, मन कहीं नही लग रहा है, पत्नी और मित्र के सांत्वना के बावजूद सम्भल नहीं पा रहे हैं। यहां तक की आत्महत्या का भी प्रयास करते हैं।

उनकी पत्नी पार्वती धार्मिक महिला है।अंधविश्वास की हद तक। एक ‘गुरु’ के द्वारा उनके बेटे के उनके घर पुनः जन्म लेने की बात पर उन्हें पूरा विश्वास है। उनके दुःख को इस ‘विश्वास’ से जैसे एक सहारा मिल गया है।पति को भी आश्वस्त करना चाहती है मगर वे नास्तिक हैं। इन बातों का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

पुत्र शोक अपनी जगह है। इधर समाज की असंवेदनशीलता और भ्रष्टाचार में किसी के दुख का कोई स्थान नहीं है। कल्पना कीजिये एक बाप को अपने पुत्र की अस्थि तक प्राप्त करने के लिए कार्यालय में भटकना पड़ता है!

इन सब के बावजूद श्री प्रधान का व्यक्तित्व उदात्त है। वे स्वतंत्रता आंदोलन के जीवन मूल्यों को अपनाए हुए हैं, इसलिए क्षुद्रता और स्वार्थ को देखकर बर्दास्त नहीं कर पाते।उन मूल्यों के पतन की बेबसी उनके चेहरे पर उभर आती है। उनको जैसे आश्चर्य होता है कि स्वतंत्रता के संघर्ष की कीमत बाद की पीढ़ी के लिए जैसे कुछ नहीं है। इस तरह के दृढ़ व्यक्ति का पुत्र शोक में विह्वलता अत्यंत मार्मिक है।

उनके जीवन में मोड़ सुजाता और विलास के आने से आता है। गर्भवती सुजाता को अपनाने में विलास और उसके पिता द्वारा इंकार करने पर श्री प्रधान और उनकी पत्नी को जीने का जैसे आधार मिल जाता है। पार्वती अपने धार्मिक भावना वश सुजाता के गर्भ में अपने मृत बेटे के पुनर्जन्म की कल्पना करती है और जैसे एक काल्पनिक दुनिया में जीने लगती है। श्री प्रधान हक़ीक़त जानते हैं मगर उस बच्चे की रक्षा का प्रश्न उनके जीवन को एक उद्देश्य दे जाता है।वे तमाम बाधाओं के बावजूद इसमे सफल होते हैं।

मगर अंततः विलास और सुजाता की अपनी अलग दुनिया है, उन्हें एक दिन अलग होना ही था। श्री प्रधान जानते थे मगर पार्वती जैसे कल्पना लोक में जी रही थी। उनका हक़ीक़त से सामना कष्टप्रद और मार्मिक होता है।

फ़िल्म के आख़िर में श्री प्रधान अपनी पत्नी को मॉर्निंग वॉक में ले जाते दिखाई देते हैं। पहले वे अपने मित्र के साथ जाते थे, पत्नी को नहीं ले जाते थे। अब दोनो नये जीवन की शुरुआत करते हैं, जहां दोनो एक दूसरे का सहारा हैं।इससे पहले उनकी पत्नी उनके आगे आत्महत्या का प्रस्ताव रखती है।कभी श्री प्रधान ने ऐसा प्रस्ताव रखा था। मगर वे मना कर देते हैं और कहते हैं “मैं पहले गलत था हिम्मत आत्महत्या के लिए नहीं जीने के लिए ज्यादा चाहिए। मरने वाले के साथ मरा नहीं जा सकता। जीवन बड़ा है। पार्वती तुम्हारी झुर्रियों में मेरे जीवन का सारांश है।”

वे दोनों गार्डन जाते हैं। साथ में श्री प्रधान का मित्र भी है। कभी गार्डन के बेंच के नीचे उनके पुत्र की मुट्ठी भर राख गिर गई थी। आज वहां पर फूल खिले हैं। फूलों का खिलना जीवन की जीत है। दोनो उसमे खो जाते हैं। और यह फ़िल्म का सारांश भी है “हम सब का अंत है मगर जीवन का अंत नही है”। जीवन चला चलता है।

इस तरह यह फ़िल्म मृत्यु पर जीवन के विजय पर ख़त्म होती है। फ़िल्म में कलाकारों का अभिनय बेजोड़ है जो बेहतर निर्देशन के बिना सम्भव नहीं होता। फ़िल्म का पूर्वार्ध अत्यंत मार्मिक है जहां वृद्ध माता -पिता पर जवान बेटे की मृत्यु का प्रभाव दिखाया गया है। इस दृष्टि से अनुपम खेर का अभिनय बेजोड़ है जिन्होंने अट्ठाइस वर्ष की अवस्था मे वृद्धावस्था का ऐसा अभिनय किया था।

———————————————————————–
[2021]
●अजय चन्द्रवंशी, कवर्धा(छत्तीसगढ़)
मो. 9893728320

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *