बाल एकांकी- पॉलीथिन को छोड़ो- थैली से नाता जोडों
पात्र परिचय-
एक शिक्षक – शिक्षक की वेशभूषा में
सात छात्र – सभी छात्र स्कूली वेशभूषा में
छात्रों के नाम – रमेश, सुरेश, दिनेश, गीता, सीता, मोहन, राम
मंच का परदा खुलता है। मंच पर स्कूल की एक कक्षा का दृश्य है।
छात्र आपस में बातें कर रहें हैं। तभी शिक्षक कक्षा में प्रवेश करते हैं। उनके आते ही सभी छात्र खड़े होकर एक साथ कहते हैं- गुडमार्निंग सर।
शिक्षक- वेरी गुडमार्निंग बच्चों। आप सभी बैठ जाइए। आज हमें एक नया पाठ पढ़ना है। अपनी भारती पुस्तक निकालो।
छात्र एक साथ- कौन सा पाठ सर।
शिक्षक- पाठ 7 पर्यावरण संरक्षण का पाठ। जिसका नाम है- पॉलीथिन को छोड़ो-थैली से नाता जोड़ो।
सभी छात्र अपनी-अपनी पुस्तक निकालकर देखने लगते हैं।
छात्र रमेश- सर इस पाठ का क्या अर्थ है ?
शिक्षक- बच्चों आजकल बाजार और घरों में पॉलीथिन की मात्रा बढ़ती जा रही है। खाने-पीने की वस्तुओं के साथ-साथ अन्य सभी वस्तुएं किसी न किसी रुप में पॉलीथिन की थैलियों में आ रही हैं। बाजार, सड़क, घर इन पॉलीथिन की थैलियों से भरते जा रहे हैं जोकि पर्यावरण और हमारे जीवन के लिये खतरा बन रहे हैं।
छात्र सुरेश- सर इन छोटी-छोटी पॉलीथिन की थैलियों से भला हमें क्या खतरा हो सकता है ?
शिक्षक- देखो बच्चों कहा जाता है कि पॉलीथिन कभी नष्ट नहीं होता है। ये जहां जिस अवस्था में होता है वर्षों तक वैसा ही पड़ा रहता है। ये न तो गलता है और न ही मिट्टी में मिलता है। यह मिट्टी के साथ मिलकर उसकी उपज शक्ति को भी कम करता है। इससे हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचता है।
गीता- सर पर्यावरण का अर्थ क्या है ?
शिक्षक- पर्यावरण का अर्थ होता है पूरा आवरण, तुम्हारे चारों ओर फैले वातावरण को ही पर्यावरण कहते हैं। पर्यावरण के दूषित होने से ही विभिन्न रोग फैलते हैं। हमें जीवन देने वाली ऑक्सीजन पर भी प्रदूषण का प्रभाव पड़ता है जो हमारे लिये खतरनाक है। इसलिये हमें अपने पर्यावरण को साफ रखना चाहिए। पर्यावरण को साफ रखने के लिये पॉलिथीन से बचना जरुरी है।
दिनेश- सर मैंने तो देखा है कि पॉलिथीन को हमारे पालतु जानवर भी खाते हैं। हमारे मोहल्ले में अक्सर कचरे के ढेर पर पड़ी पॉलिथीन को गाय या कुत्ते खाते दिख जाते है।
शिक्षक- हाँ दिनेश यह भी समस्या बढ़ती जा रही है। हमारे घर का कचरा या बची हुई खाने-पीने की वस्तुएँ हम पॉलिथीन की थैलियों में भरकर उसे कचरे में फेंक देते हैं, जिसे गाय या कुत्ते खाने के लालच में पॉलिथीन को भी खा जाते हैं। यह बहुत ही हानिकारक है। इससे हमारे पालतु जानवरों को बहुत नुकसान होता है।
सीता- सर ये बताईये जिस तरह पॉलिथीन हमारे पर्यावरण के लिए खतरा है क्या उसी प्रकार प्लॉस्टिक के डिस्पोजेबल गिलास, प्लेट आदि भी खतरनाक हैं ?
शिक्षक- सही कहा तुमने आजकल हर जगह डिस्पोजेबल गिलास, कटोरी, प्लेट का चलन बढ़ गया है। शादी-पार्टी में आजकल इसका बहुत ज्यादा उपयोग हो रहा है। हम इनमें खाने के बाद उसे कचरे में फेंक देते है कुछ लोग तो उसे नाली में भी डाल देते हैं जिससे यह पानी के बहाव को रोक देता है जिससे वर्षा के समय बाढ़ का खतरा हो सकता है और पानी रुकने के कारण मच्छर-मक्खी जैसे बीमारी फैलाने वाले कीट बढ़ जाते है जो हमें बीमार कर सकते हैं। यह भी पॉलिथीन की तरह गलता-सड़ता नहीं है।
मोहन- सर हमें पॉलिथीन से और क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं ?
शिक्षक- मोहन पॉलिथीन की थैलियों में बंद कचरा धीरे-धीरे सड़ने लगता है और इससे दूषित गैसें भी निकलती हैं जो वातावरण को नुकसान पहुँचाती हैं। गंदगी तो बढ़ती ही है साथ ही बीमारियाँ बढ़ने का खतरा भी होता है।
राम- सर पॉलिथीन में पैक खाने-पीने की चीजें जो बाजार में मिलती हैं क्या वे भी नुकसानदायक हैं ?
शिक्षक- हाँ बच्चों दुकान, डेयरी और होटलों में मिलने वाली खाने-पीने की चीजें जो पॉलिथीन में पैक होती हैं वे भी हमें नुकसान पहुँचाती हैं क्योंकि ये चीजें पॉलिथीन में मिले रसायनों के कारण दूषित हो जाती हैं, और हमें बीमार कर सकती हैं। अतः हमें इस तरह की चीजों से बचना चाहिए।
सभी छात्र एक साथ- तो सर हमें इस खतरे से बचने के लिये क्या उपाय करने चाहिए।
शिक्षक- तुमने अब तक देखा कि पॉलिथीन हमारे पर्यावरण और जीवन के लिये कितना खतरनाक है। इस खतरे को हम कुछ छोटे-छोटे उपाय करके भी कम कर सकते हैं जैसे- प्लॉस्टिक की डिस्पोजेबल चीजों के स्थान पर कागज, स्टील या मिट्टी से बने गिलास, प्लेट, कटोरी आदि का उपयोग करें। पॉलिथीन के कचरे को खुले में या नाली में न फेंके, पॉलिथीन की जगह कपड़े, जूट या कागज की थैली अपनाएं। अपने घर, बाहर और नालियों को साफ रखें, पौध रोपण करें। दूध-दही जैसे खाने-पीने के सामान पॉलिथीन की जगह बरतनों में लाएं। जब भी हम बाजार जाएं अपने साथ कपड़़े की थैली जरुर रखें। जिससे पॉलिथीन का कचरा हमारे घर में न आये। इन उपायों से हम इस खतरे को कम करके अपने पर्यावरण को साफ रख सकते हैं।
शिक्षक- बच्चों आज के इस पाठ से तुमने क्या सीखा ?
सभी छात्र एक साथ- पॉलिथीन को छोड़ो, थैली से नाता जोड़ो…..
तभी स्कूल में पीरियड समाप्ति की घंटी बजती हैं।
परदा गिरता है…
-*******
डॉ. विवेक तिवारी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
मो.- 9200340414