November 23, 2024

बाल कहानी- लड्डू मिलेगा

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अनामिका प्रिया

दो साल अपने नाना के घर रहने के बाद पिछले महीने टुकटुक घर लौट आई है। छोटे भाई के जन्म के बाद से ही वह अपनी नानी के साथ रहने लगी थी। बीच-बीच में कई बार नानी के साथ आती जाती रही थी। पर अब लगभग दो साल के बाद इस बार वापस नहीं जाने के लिए आई है। आने से पहले नाना ने उसे बताया कि अब उसका एडमिशन स्कूल में होगा। यहां आकर जब उसे पता चला कि एडमिशन के लिए ओरल टेस्ट देना है, उससे बड़ा मजा । अपनी मामी की बेटी शिवानी को स्कूल जाते हुए देखकर उसका बड़ा मन होता था कि वह भी स्कूल ड्रेस पहनकर, टाई बेल्ट लगाकर ,बैग और वाटर बोतल टांगकर स्कूल जाए । अब खुश है टुकटुक कि अब वह भी स्कूल जाएगी। उसकी नई किताबें आएंगी , नए बैग और जूते भी। सचमुच कितना मजा आएगा ..हर दिन टिफिन में होगी फरमाइशी चीजें। जो खाने का मन हो, अब वह हर दिन फरमाइश करेगी।

पिछली बार जब वह घर आई थी पापा ने टूकटुक को बताया था कि उसके घर के एक मकान के बाद एक नया स्कूल बन रहा है। पहले वहां बड़ा सा एक मैदान था जहां लगभग हर रोज वह आम चुनने और खेलने जाया करती थी। अब दो साल में तो कई चीजें और बदल गई हैं। इन दिनों स्कूल में एडमिशन के लिए होने वाली ओरल परीक्षा के लिए मम्मी – पापा ने उसे कई तरह के प्रश्नों के उत्तर बताकर उसे सबकी प्रैक्टिस कराई है। घर से निकलते वक्त दादी ने मां को कोई मंत्र बताते हुए कहा था, यह मंत्र पढ़ देना ,सब अच्छा होगा।’ पापा ने उनकी हंसी उड़ाई थी और कहा था ‘मंत्र — वंत्र से कुछ नहीं होता’। फिर उसे कहा था ‘मुसीबत में सिर्फ अपनी बुद्धि काम आती है।” दादी ने निकलते वक्त माथे पर तिलक लगाया और मिठाई भी खिलाई थी।

इंटरव्यू के लिए जब वह स्कूल पहुंची तो प्रिंसिपल के पास जाते हुए उसे डर भी लगा था और साथ ही मजा भी आ रहा था। प्यारी सी थी मैम, उनकी सुंदर सी साड़ी और लहराता हुआ आंचल उसे बड़ा अच्छा लगा था । हालांकि जब उसने देखा कि वह दो बच्चों को जोर से डांट भी रही थी तो थोड़ी सहम गई थी । उसने तुरंत हाथ जोड़कर नमस्ते किया था। मैम ने ‘गुड मॉर्निंग ‘ कहा , तब उसे लगा कि उसे भी यही कहना चाहिए था। मम्मी ने भी यही सिखाया था। अपने सिर के ऊपर दिखाकर प्रिंसिपल मैम ने पूछा था – यह क्या है ? टुकटुक के पंखा कहा तो वह मुस्कुराई थी ‘वेरी गुड ,यह कम बच्चे जानते हैं। छोटी बच्ची के मुह से पंखा सुनकर मजा आया था । फिर मुस्कुराई थी वह -‘कितने भाई बहन हो’ ? टुकटुक ने उंगलियों पर जोड़कर ‘चार’ बताया। प्रिंसिपल ने कुछ अचरज से पापा आकी तरफ देखा था। पापा ने दिखा थोड़ी हड़बड़ी दिखाते हुए कहा था-‘ घर में छोटे भाई के भी दो बच्चे रहते हैं। उन्हें मिलाकर घर में कुल चार बच्चे हैं। प्रिंसिपल ने हँसते हुए कहा था -“अलाउड लिख दे रही हूं। आप एडमिशन लेकर और आज ही क्लास टीचर से भी मिल लें।’

मम्मी पापा दोनों खुश नजर आ रहे थे। टुकटुक को स्कूल जाने के ख्याल से फिर से बड़ा मजा आया था। मम्मी पापा के साथ कुछ उछलते हुए वह क्लास टीचर के पास पहुंची थी। उन्होंने कुछ पेपर थमाया और कहा था – ‘हफ्ते बाद एग्जाम है। लेट एडमिशन से थोड़ी दिक्कत होती ही है, देखिए कैसे अब आप अपने बच्चे को तैयार करेंगे । मम्मी आश्वस्त धी – ‘जी मैम, एडमिशन में देर हुई है ,पर बहुत कुछ इसने घर पर सीखा हुआ है। मामा -मामी के बच्चों के साथ पढ़ती रही है।” टीचर कुछ आश्वस्त हुई थी –” अच्छी बात है, मैं भी यही उम्मीद करती हूं”
घर से स्कूल के लिए निकलते वक्त दादी ने माथे पर रोली और चंदन का टीका लगाया था और मिठाई भी खिलाई थी। स्कूल पहुंचते ही उसका मन बड़ा घबराने लगा था। यहां किसी को पहचानती नहीं । अगर कोई जरूरत पड़े तो किसे पुकारेगी। उसे रुलाई आने लगी थी। मम्मी -पापा को तो टीचर ने बाहर रोक दिया गया था और उसे टीचर उसकी सीट बताई थी। टिफिन की घंटी बजी थी। टुकटुक ने अपना टिफिन खोला था। शायद भूख नहीं लगी थी,पर जब खाने लगी तो मजा आया ।मम्मी ने सैंडविच बना कर दिया था । इसू तरह की कलरफुल सैंडविच उसे पसंद है।‌ अगले दिन परीक्षा के लिए टीचर ने एक्टिविटी बुक और वर्कशीट दिया था। अपने जीवन की पहली परीक्षा के लिए वह भी बड़ी उत्साहित थी। उसने अपने सुंदर कार्डबोर्ड को बैग में रखा, छिली हुए पेंसिलों और शार्पनर, इरेज़र के साथ पेंसिल बॉक्स तैयार था। मम्मी ने एडमिट कार्ड को कार्डबोर्ड के पीछे चिपकाया था।
परीक्षा कैसी होती है ? कैसे देगी वह ? जैसे बहुत सारे सवालों के साथ टुकटुक अपने क्लास रूम में थी। उसने देखा कि ब्लैक बोर्ड पर टीचर ने प्रश्न लिखा। फिर उन्होंने शोर करते बच्चों को शांत रहने का इशारा करते हुए कहा –” जो नहीं लिखेगा उसे लड्डू मिलेगा।” टुकटुक आश्चर्यचकित थी। क्या सचमुच ऐसा होगा ? क्या सचमुच टीचर अब लड्डू देंगी। टीचर ने फिर से अपनी बात दुहराई। टुकटुक पूरी तरह सोच चुकी थी कि वह कुछ नहीं लिखेगी। वह परीक्षा में पूरे समय कुछ ड्राइंग बनाती रही। कॉपी जमा करने के समय वह अपनी खाली कॉपी के साथ पहुंची थी। उसने कुछ भी नहीं लिखा है , यह देख टीचर आश्चर्यचकित थीं। उन्होंने पूछा था टुकटुक से — ‘तुमने कुछ लिखा नहीं ‘? ‘जी मैम, कुछ नहीं लिखा, पर मेरा लड्डू कहां है’? हर हाल में टुकटुक को लड्डू चाहिए था। उसने कुछ भी लिखा नहीं था इसलिए वाकई खुद को लड्डू की हकदार समझ रही थी।
टीचर ने समझाने की कोशिश की तो तेज आवाज में रो पड़ी टुकटुक – ‘आपने कहा था न मैम कि जो नहीं लिखेगा उसे लड्डू मिलेगा ! फिर कहां है मेरा लड्डू? टीचर परेशान हो गई थी। टीचर ने महसूस कि सचमुच गलती तो उनसे की हुई है। टुकटुक ने तो सोच लिया था कि वह बिना लड्डू खाए स्कूल से घर वापस नहीं आएगी । अब तक कई शिक्षिकायें आ चुकी थी है। टुकटुक रो रही थी और टीचरों के चेहरे पर उसे समझाते हुए मुस्कुराहट आती — जाती रही थी। थोड़ी देर बाद एक प्लेट में कई लड्डू टुकटुक के सामने हाजिर थे। टुकटुक ने अपनी पहली परीक्षा में जमकर लड्डू खाए और इनका स्वाद आजीवन भूलने वाली नहीं थी।

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