November 21, 2024

डोली शाह

आज लंबे अरसे बाद मैंने रोहित को फोन किया।। इधर उधर की कुछ बातें कर मैंने ही पूछ लिया– “क्या कर रहे हो अभी?”
..……… अरे तुझे पता नहीं, मैंने एक ईंटे की फैक्ट्री खोल रखी है, पूरे दक्षिण भारत में मेरी वस्तुएं निर्यात होती है,
…….. …….अरे वाह ,सच्ची
हां यार, अभी तक तुझे नहीं पता!
…….. मेरा बेटा भी तो कनाडा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। उसके बाद वह वहां की चकाचौंध भरी दुनिया की बातें बताने लगा।
………… यार ,मैं तो अपना ही कहता रह गया, तो अपना भी तो बता__
……. यार, मैं अपना क्या बताऊं! मैं तो बस छोटे से गांव का वशिदा बनकर ही रह गया। गल्ले की दुकान और घर इतने में ही मेरी जिंदगी सिमट कर रह गई।
……..….. अच्छा यह बता, तूने दसवीं के बाद आगे की पढ़ाई नहीं की क्या?
…….. यार ,पापा ने दाखिला तो कराया था, लेकिन यही पास के कॉलेज में। जिससे मैं हर पल घर की परिस्थितियां, पिता की अस्वस्थताता में ही उलझा रह गया। जिससे मैं पढ़ाई में कभी मन नहीं लगा पाया और आज पछतावा के सिवाय मेरे पास कुछ भी नहीं। शायद तेरी तरह मुझे भी पापा घर से कहीं दूर भेजे होते तो मैं भी अपनी जिंदगी संवार चुका होता।
इतनी में पिता कमरे में पहुंचे। राज की बातें थोड़ी बहुत उनकी कानों तक भी गई। बात को बदलते हुए राज यहां के मौसम के हाल बताने लगा ।
इतने में रोहित कहने लगा– “यहां इतनी गर्मी है पूछ मत, पूरा बदन जल रहा है”

…………यहां तो एक वक्त बारिश होने से मौसम अक्सर ही सुहावना बना रहता है ।
अरे वाह, थोड़ी सी बारिश यहां भी भेज दे!
यार ,”हर किसी को हर चीज नहीं मिलती” ।तू वहां चकाचौंध भरी दुनिया में जी रहा तो सुहावने मौसम का मजा कैसे लेगा।
दूसरी तरफ पिता मौन हो सोचते रहे। एक दिन बेटे को उदास देख कहने लगे– बेटा, सचमुच मैं तेरा गुनहगार हूं। एक पिता का धर्म से पिता कहलाना नहीं, बल्कि अपने पुत्र को पिता कहलाने पर गर्व महसूस करने लायक बनाना होना चाहिए। यदि मैं वक्त की मांग देख अपनी भविष्य की चिंता ना कर तेरे भविष्य की सोचा होता तो शायद मेरा बुढ़ापा कहीं अधिक खुशहाल होता। वक्त को बदलना तो मेरे बस में नहीं, लेकिन मेरी आने वाली पीढ़ी इन चीजों से दूर रहें इसका मैं जरूर प्रयास करूंगा…।
डोली शाह
हैलाकंदी ,असम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *