दिवास्वप्न / लुईज़ा ग्लुक
लुईज़ा ग्लुक अमेरिकी कवि थीं। आज उनका देहान्त हो गया। कभी मैंने उनकी इस कविता का अनुवाद किया था। उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि।
अनुवाद -अनिल जनविजय, मास्को
मैं आपको यह बताना चाहती हूँ कि लोग
मर रहे हैं हैं हर रोज़ और यह बस, एक शुरूआत है
हर रोज़ मुरदाघरों में नई से नई औरतें विधवा हो जाती हैं
सामने आती हैं नई से नई अनाथ औरतें ।
वे दोनों हाथ बाँधकर बैठी होती हैं
और सोचती हैं अपनी नई ज़िन्दगी के बारे में ।
फिर वे क़ब्रिस्तान में होती हैं
कुछ तो पहली बार आती हैं यहाँ
वे रोते हुए डरती हैं
कभी-कभी न रोने से भी डरती हैं
फिर कोई उनकी तरफ़ झुककर उन्हें बताता है
कि अब आगे उन्हें क्या करना है
जिसका मतलब होता है कि अब उन्हें कुछ कहना है
और क़ब्र में कुछ मिट्टी डालनी है ।
उसके बाद सभी घर वापिस लौट आते हैं
वहाँ अचानक भीड़ हो जाती है सम्वेदना व्यक्त करने वाले लोगों की
विधवा गम्भीर चेहरा बनाकर कुरसी पर बैठ जाती है
उसके पास पहुँचने के लिए लोग एक लाईन सी बना लेते हैं
कुछ उसका हाथ थामकर सान्त्वना देते हैं, तो कुछ उसे गले लगा लेते हैं
वह सभी से कुछ न कुछ कहती है
और उनका आभार व्यक्त करती है
ऐसे वक़्त में उसके पास आने के लिए आभार ।
पर मन ही मन वह चाहती है कि वे
जल्दी से उसे छोड़कर चले जाएँ
वह वापस क़ब्रिस्तान में जाना चाहती है
वापस उस अस्पताल के उस वार्ड में
हालाँकि वह जानती है कि अब ऐसा करना सम्भव नहीं है
लेकिन वही उसकी अकेली उम्मीद है
पीछे वापिस लौटने की इच्छा, थोड़ा-सा पीछे
लेकिन शादी और पहले चुम्बन तक, इतना ज़्यादा पीछे भी नहीं ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
और लीजिए, अब पढ़िए अँग्रेज़ी में मूल कविता
Louise Glück
A Fantasy
I’ll tell you something: every day
people are dying. And that’s just the beginning.
Every day, in funeral homes, new widows are born,
new orphans. They sit with their hands folded,
trying to decide about this new life.
Then they’re in the cemetery, some of them
for the first time. They’re frightened of crying,
sometimes of not crying. Someone leans over,
tells them what to do next, which might mean
saying a few words, sometimes
throwing dirt in the open grave.
And after that, everyone goes back to the house,
which is suddenly full of visitors.
The widow sits on the couch, very stately,
so people line up to approach her,
sometimes take her hand, sometimes embrace her.
She finds something to say to everbody,
thanks them, thanks them for coming.
In her heart, she wants them to go away.
She wants to be back in the cemetery,
back in the sickroom, the hospital. She knows
it isn’t possible. But it’s her only hope,
the wish to move backward. And just a little,
not so far as the marriage, the first kiss.