काव्य-कला
कविताएँ दो कौड़ी की बकवास होती हैं
जब तक उन्हें तोड़ न दिया जाय
जैसे किसी घोड़े, किसी कुत्ते की रीढ़ न ठोंक दी जाय
जैसे सबसे प्यारा-चहेता आपका कोई खिलौना
जो एक बाँह से लूला हो
प्यार आपको अहसास कराता है कि
आपको इस्तेमाल कर लिया गया है
मैं ऐसी कविता चाहता हूँ, जो लड़खड़ाती हुई मेरे क़रीब आये
कविता को प्यार जैसा मारक, चोट करने वाला होना चाहिए
जैसे दांतों में बर्फ़ जैसा ठंडा पानी
जैसे जकड़ी-सिकुड़ी पेशियों को ढीला करने वाली मालिश
मुझे ऐसी कविता दो, जो चमड़े जैसी हो
मुझे ऐसी कविता दो, जिसमें गैसोलिन की गंध हो
मैं ऐसी कविता चाहता हूँ, जो ज़रूरी चेतावनी हो
जो मुझे मज़बूर कर दे कि मैं लौटकर देखूँ कि कहीं दरवाज़े पर
मैं अपनी बंदूक़ तो नहीं छोड़ आया
कविता, बहती हुई नाक, एक छींक …
कविता ठीक वही पल
जब आकाश हरा हो जाता है …!
– केन्याटा रोज़र्स
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(यह कविता महान रोमन कवि होरास की 476 पंक्तियों की, 19 BC में लिखी गई कविता ‘Ars Poetica’ (Art of Poetry) से संवाद और प्रत्युत्तर की परंपरा में है। कवियों की मीडियोक्रिटी में रची जाती कविताओं के बर-ख़िलाफ़ केन्याटा रोज़र्स की यह कविता एलेन गिन्सबर्ग और दूसरे बीटेनिक कवियों और हिन्दी में 60-70 दशक की ‘अकविता’ की परंपरा में है।
यह एक चलताऊ भावानुवाद है।)