तोला तो था…
सुनो
तोला तो था
तुम्हारी आँखों ने-
मेरे रूप रंग को,,,
तुम्हारे जेह्न ने-
मेरी तालीम को,,,
तुम्हारे ‘क़ल्ब’, ‘अक़्ल’
और ‘फ़ौआद’ ने-
मेरे विचारों को,,,,
तुम्हारे दिल ने-
मेरे भावों को,,,
और स्वयं तुमने –
मेरे प्रेम को,,,
तरह- तरह के तराजू में
रख-रख कर
कितनी ही बार,
मगर फिर भी
मोल न ले पाए तुम मुझे,,,,
और मेरी रूह ने-
बिना शरीर की मदद लिए ही
तुम्हारी रूह को पहचान लिया
पहली ही नज़र में
और
वो साथ हैं आज
रहेंगी भी
हमेशा ही,,,,,,
शुचि ‘भवि ‘
भिलाई, छत्तीसगढ़