विमर्श के केन्द्र में छत्तीसगढ़ी साहित्य की 18 पुस्तकें
(आलेख -स्वराज करुण )
छत्तीसगढ़ी भाषा में साहित्यिक रचनाओं का लेखन और प्रकाशन पहले भी होता रहा है, लेकिन वर्ष 2000 में राज्य निर्माण के बाद इसमें काफी तेजी आयी है.वर्ष 2007 में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद इस भाषा के साहित्यकारों में भी रचनात्मक उत्साह का संचार हुआ है.नये, पुराने रचनाकार साहित्य की विभिन्न विधाओं में लगातार सृजन कर रहे हैं.नये दौर में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं सहित आकाशवाणी और दूरदर्शन तथा प्रचार -प्रसार के अन्य आधुनिक माध्यमों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है,जिनमें छत्तीसगढ़ी रचनाकारों को अपनी साहित्यिक अभिव्यक्ति के लिए मंच मिलने लगा है. सूचना क्रांति के इस युग में कम्प्यूटर और इंटरनेट आधारित फेसबुक, वाट्सएप और यूट्यूब आदि सोशल मीडिया के मंचों का भी अनेक छत्तीसगढ़ी साहित्यकार अच्छा उपयोग कर रहे हैं.
कहानी,उपन्यास, कविता,खण्ड काव्य, निबंध और लघुकथा जैसी साहित्यिक विधाओं में छत्तीसगढ़ी रचनाओं का लेखन और प्रकाशन जारी है, लेकिन नाट्य विधा में पुस्तकों का प्रकाशन या तो नहीं हो रहा है, या ये भी हो सकता है कि मेरी जानकारी में नहीं है.छत्तीसगढ़ी भाषा में साहित्यिक समीक्षाएँ भी बहुत कम लिखी गयी हैं.
बहरहाल,विगत 12वर्षो में छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रकाशित विभिन्न विधाओं की पुस्तकों की छत्तीसगढ़ी भाषा में समीक्षा करने का एक सराहनीय कार्य पोखनलाल जायसवाल ने किया है. वे बलौदा बाज़ार -भाटापारा जिले के ग्राम पठारीडीह (तहसील -पलारी )के निवासी हैं. उनकी समीक्षात्मक पुस्तक ‘विमर्श के कसौटी म समकालीन छत्तीसगढ़ी साहित्य ‘ शीर्षक से इस वर्ष 2024में प्रकाशित हुआ है. यह छत्तीसगढ़ी साहित्य की पाँच अलग -अलग विधाओं में साहित्यकारों द्वारा रचित 18 पुस्तकों पर केंद्रित जायसवाल जी के समीक्षात्मक आलेखों का संकलन है.हिन्दी में इस पुस्तक की भूमिका लिखी है राज्य के बिलासपुर निवासी व्याकरणविद, कहानीकार और समीक्षक डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने. पुस्तक पर और पोखनलाल की साहित्यिक रचना प्रक्रिया पर दुर्ग निवासी साहित्यकार अरुण कुमार निगम का छत्तीसगढ़ी आलेख भी इसमें शामिल है, वहीं पोखन लाल ने ‘अपन गोठ ‘शीर्षक से छत्तीसगढ़ी में अपनी बात रखी है.
जिन रचनाकारों की पुस्तकों पर समीक्षात्मक आलेख इस संग्रह में शामिल हैं उनमें से वसंती वर्मा की पुस्तक ‘मोर अँगना के फूल ‘का प्रकाशन वर्ष 2012 में हुआ था. यह उनकी कविताओं का संकलन है. छत्तीसगढ़ी साहित्य के विमर्श की इस पुस्तक में जायसवाल जी का पहला आलेख मनीराम साहू के खंड काव्य ‘हीरा सोनाखान के ‘शीर्षक से है, जो वर्ष 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़ से नायक बनकर उभरे शहीद वीर नारायण सिंह पर केंद्रित है, जो तत्कालीन अविभाजित रायपुर जिले के अंतर्गत सोनाखान के प्रजा वत्सल जमींदार थे. मनीराम की यह पुस्तक वर्ष 2018 में प्रकाशित हुई थी. स्वतंत्रता संग्राम में ही वर्ष 1857 में छत्तीसगढ़ की वर्तमान राजधानी रायपुर में एक बड़ा सैन्य विद्रोह हुआ था, जिसके नायक थे वीर हनुमान सिंह. उन पर केंद्रित प्रबंध काव्य भी मनीराम साहू ने लिखा है, जिसका प्रकाशन वर्ष 2023 में हुआ है. इस पुस्तक पर भी पोखन लाल जायसवाल ने विमर्श आलेख अपनी पुस्तक में शामिल किया है.
अपने इस विमर्श -संकलन में उन्होंने जिन अन्य रचनाकारों की कृतियों की विस्तार से चर्चा की है, उनमें रामनाथ साहू का कहानी संग्रह ‘गति मुक्ति ‘ (प्रकाशन वर्ष 2016), शोभा मोहन श्रीवास्तव का कविता संग्रह ‘तैं तो पूरा कस उतर जाबे ‘(प्रकाशन वर्ष 2021) भी शामिल है. वर्ष 2022 में प्रकाशित चन्द्रहास साहू के कहानी संग्रह ‘तुतारी ‘, वर्ष 2023 में प्रकाशित वीरेंद्र सरल के लोक कथा संग्रह ‘ठग अउ जग ‘, वर्ष 2022 में प्रकाशित दुर्गा प्रसाद पारकर के उपन्यास ‘बहू हाथ के पानी ‘, वर्ष 2020 में प्रकाशित डॉ. पीसी लाल यादव के कविता -संग्रह ‘बेरा -बेरा के बात ‘वर्ष 2022 में प्रकाशित कन्हैया साहू के छंदबद्ध काव्य ‘जयकारी जनउला ‘, वर्ष 2023 में प्रकाशित मनीराम साहू के गीत -संग्रह ‘गजा मूँग के गीत ‘ वर्ष 2022 में प्रकाशित चोवा राम वर्मा के कहानी संग्रह ‘बहुरिया ‘, वर्ष 2020 में प्रकाशित सुशील भोले के कहानी संग्रह ‘ढेकी ‘ और वर्ष 2019में प्रकाशित बलदाऊ राम साहू के निबंध संग्रह ‘मोटरा संग मया नंदागे ‘की भी चर्चा की गयी है.
इसी कड़ी में पोखन लाल जायसवाल ने अपने विमर्श में वर्ष 2022 में प्रकाशित राजकुमार चौधरी के ग़ज़ल संग्रह ‘पाँखी काटे जाही ‘, वर्ष 2022 में प्रकाशित कन्हैया साहू ‘अमित ‘के बालगीतों के संग्रह ‘फुरफुंदी ‘, वर्ष 2023 में प्रकाशित स्वामी आत्मानंद पर केंद्रित चोवा राम वर्मा के चम्पू काव्य ‘हमर स्वामी आत्मानंद ‘, वर्ष 2016 में प्रकाशित जीतेन्द्र वर्मा ‘खैरझिटिया ‘के कविता संग्रह ‘मोर गाँव गँवागे ‘को भी शामिल किया है.
वैसे देखा जाए तो इन वर्षो में और भी कई साहित्यकारों की छत्तीसगढ़ी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, लेकिन पोखन लाल जायसवाल ने अपने पास जितनी पुस्तकें उपलब्ध हैं, उन्हें पढ़कर काफी मनोयोग और मेहनत से उन पर आलेख तैयार किए हैं. वैभव प्रकाशन रायपुर द्वारा वर्ष 2024 में प्रकाशित ‘विमर्श के कसौटी म समकालीन छत्तीसगढ़ी साहित्य ‘के लेखक पोखन लाल जायसवाल को इस उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई.
(आलेख -स्वराज करुण )