सिंघनपुर – मिरौनी बैराज पिकनिक स्पॉट –
प्रायः देखा जाता है लोगों का कौतूहल नदी,झरनों,धार्मिक स्थल, जंगल अथवा पहाड़ी क्षेत्रों में किसी विशेष अवसर पर देखने को मिल जाता हैं। इस बार नव वर्ष के दिन छत्तीसगढ़ की चित्रोत्पला महानदी के समीपस्थ बसा सिंघनपुर (पतेरापाली) के तट पर काफ़ी लोगों का जमावड़ा देखने को मिला। रोड़ में दिन भर मोटर – गाड़ियों की आवाजाही देखने को मिली। टू व्हीलर में तीन से चार,पिकअप में तो खच्चा – खच्च लोग बैठ कर बर्तन और आवश्यक खाद्य पदार्थों को लेकर जाते हुए दिखें।
सिंघनपुर – मिरौनी बैराज दो जिलों को जोड़ता है। सिंघनपुर सारंगढ़ – बिलाईगढ में आता है वहीं मिरौनी सक्ति जिला के अंतर्गत आता है। पूर्व में महानदी पर बैराज/ पुल न होने के कारण इस पार से उस पार जाने के लिए पासीद से नाव चलती थी जिसका उपयोग कर नदी के इस छोर आते थे,पुराने समय के लोग कहते थे उस समय रोटी – बेटी भी नहीं चलता था। क्योंकि नदी पार करने में असुविधा होती थी।
उक्त बैराज (barrage) में कुल 84 गेट है। बैराज के बारे में जाने तो यह एक विशेष प्रकार का बांध ही है जिसमें बड़े-बड़े द्वारों (गेट) की श्रृंखला होती है। इन द्वारों को आवश्यकतानुसार बन्द किया या खोला जा सकता है और इस प्रकार इससे होकर बहने वाले जल की मात्रा का नियंत्रण किया जा सकता है। बैराजों द्वारा नदियों के प्रवाह तथा उनके जलस्तर को भी नियंत्रित किया जाता है ।
महानदी छत्तीसगढ़ की पापनाशिनी कहीं जाती है। सिंघनपुर के तट पर पानी का जल स्तर काफ़ी है। किनारे तरफ लोग खाना बनाते हैं और गेट के सामने तरफ पानी के हल्के बहाव में लोग कूद – कूद कर नहाने का भरपूर आनंद लेते हैं। उस छोर मिरौनी तरफ उद्यान व मन्दिर भी बनाया गया है।
नव वर्ष पर लोगों का ताता इतना था कि झूले, खाने – पीने और मनोरंजन के संसाधन भी उपलब्ध रहे। लोगों ने अपना मनपसंद खाना बना कर नव वर्ष पर अपनी खुशी जाहिर किए।
अब सवाल ये उठता है कि –
1. क्या उक्त स्थल को पिकनिक स्पॉट बनाने हेतु प्रयास किया जावेगा अथवा नहीं।
2. उक्त बैराज के जल से खेती में मदद मिल पाएगी इस हेतु पूर्व में उद्वहन सिंचाई सुविधा को अमल में लाया जावेगा अथवा नहीं।
3. सड़क मार्ग बेहतर होगा अथवा नहीं।
4. नदी के पानी को स्वच्छ बनाए रखने के लिए कुछ प्रयास होगा अथवा नहीं।
5. नदी के तट पर अनगिनत कूड़े – कचरों की सफाई किसकी जिम्मेवारी है।
ऐसे अनगिनत सवाल आपके भी होंगे । सुझाव सादर आमंत्रित है। आप भी इस अभियान में जुड़े और प्राकृतिक सम्पदा का सरंक्षण और संवर्धन के विकास में योगदान देवें।
आनंद सिंघनपुरी