प्रभाती मिंज की दो कविताएं
तुमसे कहना है
कहना है मुझे तुमसे
वो अविस्मरणीय मीठी बात।
झिलमिल चाँदनी की
वो मुलाकात सारी याद।।
हरी-भरी पगडण्डियों में
हमारा इठलाते गुजरना।
चाँद-सितारे देखकर
प्यारी-प्यारी बातें बनाना।।
तुमसे कहना है आज
जो पहले न कह पाये हैं।
ख़ामोश पलकों में सजाकर
कुछ राज़ हमने छुपाये हैं।।
दिल थामकर तुम अपना
सुनना मेरी सारी बात।
गर समझ न सको तो
करना रब से फरियाद।।
हाल-ए-दिल बिखर रही
रेत की मुठ्ठी फिसल रही ।
बहारों में चमन आ रही
एक रोशनी आस लिए आ रही।।
कहता दिल जंग जीत जायेंगे
कुहवाएँ हार जायेंगे।
थोड़ा हौसला रखना सभी
कदम नई दुनिया में जरूर रखेंगे।।
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जय अम्बे माँ भवानी
जगत जननी जगदम्बा माँ भवानी
सिंहवाहिनी हे खड़गधारिणी।
कृपा करनी दुःख हरिणी सुख करनी
प्रण तज नशिनी भव जलधि तरिणी।।
मैं पतित सेवक तेरे चरणन को
कृपा दृष्टि माँ मुझपर कीजिए।
नाश कर असुरों के गर्दन को
निरख परख हमें वर दीजिए।।
महामाया जोगनि माँ शिवानी
अद्यशक्ति मणिचंद्र जगकल्याणी।
हिमालय मैना की शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी
सुन्दर,निर्मल,निष्कलंक जगरानी।।
भगवती, सरस्वती, चंद्रघंटा अवतरिणी
उमापार्वती आराधना शिवतपस्विनी।
कर शक्ति का संचार अजर अमर माँ
सौम्यता,विनम्रता की अमर कहानी।।
प्रभाती मिंज
बिलासपुर(छ.ग.)