जबर्दस्ती लिखने की कवायद से गुजरना
लालित्य ललित
दिनचर्या कोई आसान नहीं होती
एक स्त्री के लिए
जो सारा दिन काम करती है और सबके लंच के बाद अपना ब्रेक फ़ास्ट तो स्किप कर ही जाती है
लंच में जो कई दिनों की सब्जी आमतौर पर बच जाती है
उसको मैश कर के पराठाँ बन लेती है
वह भी बच्चों की निगाहों से कहाँ बच पाता है!
उधर शाम को सैर करते हुए जाते समय बोल जाती है
कि पति देव उठ जाइये
पिताजी के लिए चाय बिस्कुट बना लो
वरना वे किचेन में मंडराते रहेंगे
कई बार पति सोचता है कि स्त्री का जीवट आदमी से कहीं ज्यादा है
यदि दोनों का लिंग परिवर्तन कई सालों बाद ऊपरवाला करके फिर धरती पर भेजें
तब
पति को पता चल जाएगा
पिछले जन्म में कितनी बार चाय पी कर दूध खत्म किया था
बच्चे तो बच्चे
जब मिल जाता है मौका
ढूंढ ही लेते है किचेन में से मैगी का पैकेट
घरों में बिटिया का रोल भी कम जोरदार नहीं
रोजाना की पांच से सात फोटोस इंस्टाग्राम पर अपलोड
किचेन के कामों से मुंह चिढ़ाने की कसम
काम न करने की आदत प्रायः हर उस घर में है
जिस घर में कमेरी माँ घर के कामों में लगी रहती है
मसालों सी सुगन्ध और कुकर में पक रही सब्जी के बारे में
सीढ़ियां चढ़ रहे पतिदेव आते ही कह देते है कि ये बनाया न!
आदमी सोचता कुछ है और हो जाता कुछ है!
बहरहाल चाय पीने का मज़ा फेन के साथ आता है
कि चाय में डुबोया और वह गया अथाह गहराई में
बहरहाल जीवन में कवायद भी बना रहे और
रोमांस का स्थायी भाव भी
इसी जुगत में रहता हूँ कि चाय पीने का मज़ा किसी अतिरिक्त रोमांस से कम नहीं
वही हॉट-हॉट एहसास की कल्पना
जो भारी शीत लहर से बचाए रखती है।