मोर देवारी…
रेल्वे स्टेशन के सुविधा अउ बने बड़े स्कूल म परिवार के लोग लइका मन ल पढ़ाये के लालसा म लगभग 35 बछर होगे हे अपन जन्मभूमि ले लगभग 12किमी दूरिहा कस्बानुमा गाँव हथबंद म घर बनाके राहत। इहाँ बसे के अबड़ फायदा होइस काबर के संयुक्त परिवार के जम्मो भतीजा-भतीजिन मन ल उच्चशिक्षा मिलिस।मोरो लइका मन पढ़िन-लिखिन।
बसे बर हथबंद म भले बस गेंव फेर एको तिहार आज तक इहाँ नइ मनाये अँव। छोटे ले लेके बड़े तिहार तको ल अपन छोटे से जन्मभूमि गाँव जेन सिरतो म सरग ले बढ़के लागथे उहें मनाथँव। बाहिर म कतको मान सम्मान मिल जथे फेर अपन जन्मभूमि के संगी संगवारी मन ले , सियान मन ले,दीदी दाई ,बहिनी भाई मन ले मिले निश्छल प्रेम मया-दुलार,आशिर्वाद के बाते निराला होथे।जन्मभूमि के चंदन कस धुर्रा के मोल हीरा मोती ले आगर होथे। मन के पठेरा ले कोनो सुरता निकल के जब आँखी म झुले लगथे,कोनो ह गुदगुदाये हँसवाये ल धर लेथे अउ कोनो कोनो ह चिटिक रोवा तको देथे त वो आनंद के वर्णन नइ करे जा सकय।
इही सब कारण मन ल सोंच के मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी ह कहे रहिस होही—जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी–
जइसने कोनो तिहार लकठियाथे ओइसने मन ह गाँव घर जाये बर दू चार दिन पहिली ले तुकतुकाये ल धर लेथे। इहू साल सुरहुत्ती के एक दिन पहिली ले तैयारी होगे रहिस। भइया अउ संगवारी मन के फोन आये ल धर ले रहिस। हथबंद के घर म संझा 7 बजे पूजापाठ करके पारा परोस म परसाद बाँट के अउ परोसी सियान कका ल चार दिन बर दियबाती अउ रखवारी के जिम्मेदारी देके पहुँचगेन अपन जन्मभूमि।
उहाँ के आनंद ल का कहिबे ।पूरा बस्ती म चारों खूँट रिगबिग रिगबिग दिया के जोत।रहि रहि के दनाका फटाका के जयघोष। रात भर चहल पहल। गौरी गौरा के बिहान के होवत ले बिहाव ।तहाँ ले नहा धोके दस बजे ले दू बजे तक विसर्जन। संझा बेरा गोवर्धन पूजा। गोबर के टीका लगा के एक दूसर ले मेल मिलाप।
बिहान भर मातर तिहार। उमंगे उमंग। चार दिन कइसे पहाइच पतेच नइ चलिस।
ए साल के देवारी तिहार म एक फरक देखे ल मिलिस कि कुछ मनखे मन कोरोना के डर म मास्क लगाये रहिन फेर अधिकांश मन पालन नइ करिन। मातर के दिन खीर के परसाद बँटय तेन ए साल कोरोना के सेती नइ बाँटे गिस।राउत नाचा म आधुनिकता के रंग चढ़े दिखिस त ए साल पिछू साल ले जादा पिये खाये लड़भड़ावत मनखे मन ल देख के बहुत दुख तको लागिस।
चोवा राम ‘बादल’
हथबंद, छत्तीसगढ़