November 17, 2024

अक्षय तृतीया विशेष : पुतरी पुतरा के बिहाव

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पुतरी पुतरा के बिहाव होवत हे , आशीष दे बर आहू जी ।
भेजत हाँवव नेवता सब ला , लाड़ू खा के जाहू जी ।।

छाये हावय मड़वा डारा , बाजा अब्बड़ बाजत हे ।
छोटे बड़े सबो लइका मन , कूद कूद के नाचत हे ।।
तँहू मन हा आके सुघ्घर , भड़ौनी गीत ल गाहू जी ।
भेजत हावँव नेवता सब ला , लाड़ू खा के जाहू जी ।।

तेल हरदी हा चढ़त हावय , मँऊर घलो सौंपावत हे ।
बरा सोंहारी पपची लाड़ू , सेव बूंदी बनावत हे ।।
बइठे हावय पंगत में सब , माई पिल्ला सब आहू जी ।
भेजत हावँव नेवता सब ला , लाड़ू खा के जाहू जी ।।

आये हावय बरतिया मन हा , मेछा ला अटियावत हे ।
खड़े हावय बर चौंरा मा , मिल के सब परघावत हे ।।
नेंग जोग हा पूरा होगे , टीकावन मा आहू जी ।
भेजत हावँव नेवता सब ला , लाड़ू खा के जाहू जी ।।

रचना
प्रिया देवांगन “प्रियू”
पंडरिया (कवर्धा)
छत्तीसगढ़

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