November 17, 2024

यामिनी गुप्ता की दो कविताएं

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पिघलती भट्टियां
~~~~

कोरोना कर्फ्यू ‼️
और _
सड़कों पर पसरा सन्नाटा
बेलगाम होता कोरोना संक्रमण ,
रातों में भी सुलगते मोक्षधाम
एंबुलेंस के सायरन से टूटती खामोशी
स्वजनों को खोने वाले लोगों का विलाप ,
पिघलने लगी हैं शवदाह गृह में लगी धातु की भट्टियां ;
कब तक सह सकेंगी मृत देहों का बोझ
वो मृत देह _ जिन्हें अंतिम समय में भी
ना मिल सका अपनों का साथ ।

श्मशान में लगे लाशों के ढेर
रोंगटे खड़े कर देने वाली तस्वीरें
आज का निर्मम सत्य है यही
मानवता समाप्त हो रही है
रोबोट में तब्दील होते जा रहे हैं हम सभी
संकट में है मानव का मनोविज्ञान
अट्टाहास करता कोरोना वायरस
सिर्फ अकेले और अकेले होते हम
रिश्ते-नातों , पहुंच-पकड़ से दूर होते
जमीनी हकीकत है भयावह।

नमन और श्रद्धांजलि जैसे शब्द
बहुतायत में बिखरे पड़े हैं
भय की प्रतीति , दुश्चिंताऐं हैं चौतरफा
अस्थिर , अशांत है मन
भीड़भाड़ से बढ़ता इस महामारी का साम्राज्य ,
प्रकृति का यह भयावह खेल खत्म हो अब
बसंत के बाद आ बैठी है मृत्यु ऋतु
और पत्थर हो रहा है मानव
कठिन दौर की शुरुआत है और छोर का पता नहीं ।

मानवता के प्रहरी बन
अब भी हैं कुछ अच्छे लोग हैं ,
लेकिन जो भी अच्छे होंगे
जो दया,मदद सहयोग के लिए तैयार मिलेंगे
वो बहुत दिनों तक बच नहीं सकेंगे
कोरोना के निर्दयी पंजों से ,
कोरोना नहीं कुछ और किया हो या ना किया हो
लेकिन जो थोड़ी बहुत मनुष्यता बची थी
उसे भी कर दिया है नष्ट
चारों ओर है करोना का कहर
_ विश्वव्यापी प्रकोप यह कुछ दिन , माह , बरस और जी गया तो कैसे दिखेंगे हम सबके चेहरे कहना मुश्किल है
हम कितने अमानुष हो जाएंगे
_
कह पाना मुश्किल है ।

यामिनी नयन गुप्ता

2 .🌺🌹🌹🌺

                  अंतिम पेशी 
             ~~~~

मानो या ना मानो ‼️
मृत्यु के बाद जब होगी हमारी पेशी
ईश्वर के समक्ष
वो लेगा हिसाब-किताब
कितने गुण तुम्हें दिए गए थे जन्म के समय
और कितने तुम बचा कर रख सके
इस अंतिम सफर तलक ।

कितना आकर्षक होती है
बच्चों की निश्चलता , भोलापन
जो बरबस अपनी ओर खींचती है हमें
होठों पर तिरे जाती है अनायास ही मुस्कान
बड़े होने की प्रक्रिया में लुप्त हो जाती है सरलता
झै जाती है गंगा सी पवित्रता
मिथ्या लोकाचार में।

” दुनिया ने हमें सिखा दिया
या फिर छीन लिया हमारा भोलापन
या कि सीधे लोगों का जमाना नहीं रहा अब “
यह सब है सरासर बहानेबाजी
सच तो यह है कि
ईश्वर प्रदत्त गुणों की
हम ना कर सके सार संभाल ।

बचा लीजिए ‼️
माया नहीं _ मोह नहीं
वक्त भी नहीं

बचा लीजिए अपनी सरलता को
अभी भी दिल जीतने के लिए
सरल व सहज रहना ही कारगर है समाधान ।

  यामिनी नयन गुप्ता

नाम : यामिनी नयन गुप्ता
जन्मस्थान : कोलकाता
शिक्षा : स्नातकोत्तर ( अर्थशास्त्र )
लेखन विधा : कविताएं , हास्य-व्यंग्य , लघुकथाएं
एकल काव्य संग्रह : शिलाएं मुस्काती हैं

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