November 17, 2024

तब भी प्यार किया

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                         मदन कश्यप 

मेरे बालों में रूसियाँ थीं
तब भी उसने मुझे प्यार किया
मेरी काँखों से आ रही थी पसीने की बू
तब भी उसने मुझे प्यार किया
मेरी साँसों में थी बस जीवन-गंध
तब भी उसने मुझे प्यार किया

मेरे साधारण कपड़े
किसी साधारण डिटर्जेंट से धुले थे
जूतों पर फैली थी सड़क की धूल
मैं पैदल चलकर गया था उसके पास
और उसने मुझे प्यार किया

नज़र के चश्मे का मेरा सस्ता फ़्रेम
बेहद पुराना हो गया था
कंधे पर लटका झोला बदरंग हो गया था
मेरी ज़ेब में था सबसे सस्ता मोबाइल
फिर भी उसने मुझे प्यार किया

एक बाज़ार से गुज़रे
जिसने हमें अपनी दमक में
शामिल करने से इनकार कर दिया
एक ख़ूबसूरत पार्क में गये
जहाँ मेरे कपड़े और मैले दिखने लगे
हमारे पास खाने का चमकदार पैकेट नहीं था
हमने वहाँ सार्वजनिक नल से पानी पिया
और प्यार किया!
मदन कश्यप

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