November 18, 2024

फ्रिज का पानी ~ बाल कविता

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मत करना तुम यह नादानी।।
कभी न फ्रिज का पीना पानी।।

बार-बार अब छींक सताये।
नाक बहुत बहती ही जाये।।

दुख देता है खाँसी बलगम।
फिर बुखार रहता है हरदम।।

अस्पताल पड़ जाये जाना।
खूब दवाई तो फिर खाना।।

इंजेक्शन दो चार लगाये।
अक्ल ठिकाने आ ही जाये।।

मम्मी कहती कहना मानों।
भला-बुरा अपना पहचानों।।
~~
कन्हैया साहू ‘अमित’ ✍
शिक्षक-भाटापारा छ.ग-©®

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