लघुकथा: भीतर कुछ दरकता सा…
ये क्या आधी रात तुम लाइट जलाकर कर सबका नींद खराब करती रहती हो...?":" झल्लाकर,,, समीर ने सुधा को कहा...।...
साहित्य मनुष्य को गढ़ता है – ललित कुमार, कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय में तुलसी और प्रेमचंद जयंती का आयोजन
भिलाई। प्रारंभ में विद्यार्थियों की ओर से डॉ मणिमेखला शुक्ल के नेतृत्व में उर्वशी श्रीवास और कुछ आरती ने सरस्वती...
लघुकथा : दूसरी शादी
सौ बीघा जमीन के मालिक रामनाथ की जिंदगी बड़ी रूखी -सूखी सी गुजर रही थी । खेतीवाड़ी को नौकर चाकर...
सब कुछ आसान तो है……
मुश्किल कहां सबकुछ आसान तो है, दुनियाँ में हर समस्या का समाधान तो है, ढूँढोगे तो हल मिलेगा,सब आसान तो...
फ़िल्म ‘सद्गति’ : सत्यजीत राय(1981)
प्रेमचंद तत्कालीन समाज के कुशल चितेरे हैं। वे समाज के अंतर्विरोधों, विडम्बनाओं से आँख नही चुराते बल्कि जोखिम की हद...
आलोचना का लोकधर्म : आलोचना की लोकदृष्टि
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी शाकिर अली जी कवि, आलोचक, एक्टिविस्ट कई रूपों में दिखाई देते हैं। लेकिन इन सब मे...
जैविक खाद के उपयोग से मुलायम हो रही है खेत की मिट्टी – मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत राशि अंतरण कार्यक्रम के मौके पर...