दिव्या सक्सेना की दो कविताएं
आँखों की नमीं बहुत कुछ बयाँ करती है आँखों की नमीं ये तो पढ़ने वाले ही समझते है इसकी गहराई...
आँखों की नमीं बहुत कुछ बयाँ करती है आँखों की नमीं ये तो पढ़ने वाले ही समझते है इसकी गहराई...
-सरला माहेश्वरी बाबा मैंने सपना देखा ! घर में बैठे पास हमारे खिलखिला रहे हो तुम ! सत्य को लकवा...
आज फेसबुक में एक- दो पोस्ट देखीं तो पता चला प्रसिद्ध लेखक - कवि ओमप्रकाश वाल्मीकि जी की जयंती है।...
स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी लगता तो असंभव है लेकिन आज की दुनिया में जहां मर्यादा का कोई माप-दण्ड न रह गया...
श्रीमती सीमा चंद्राकर छत्तीसगढ़ में बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में साहित्य और पत्रकारिता के माध्यम से राष्ट्रीयता की अलख जगाने...
गज़ल 1 छोड़ आए वो हसीं घर याद आता है कि जैसे क़ैद में पंछी को अंबर याद आता है...
कुछ पल के लिए और जी लेता मैं बैठ कर बातें करते गुज़रे हुए वक़्त का स्वप्ने भी देखते साथ...
पत्तों ने पूछा धरा से । दादी, तुमने पिता वृक्ष को जन्म दिया । पिता वृक्ष ने हमें जन्म दिया...
बदला तीस वर्ष पूर्व पंडित जी ने बताया था कि उसकी कुंडली के चौथे घर में मंगल बैठा है, इसलिए...
औरतों के दुख बड़े अशुभ होते हैं, और उनका रोना और भी बड़ा अपशकुन। दादी शाम को घर के आँगन...