May 19, 2025

कविता

हँस रहा विध्वंस का विक्रांत है

हैं चरण,पर आचरण तो भ्रांत है, घोषणा उसकी, कि वह संभ्रांत है। धर्म का परिदृश्य, क्यों ऐसा हुआ! रक्त रंजित...