ग़ज़ल
ग़ज़ल में फ़न, तख़य्युल, लफ़्ज़, लहजा कौन देखेगा जहाँ सब बेसलीक़ा हों सलीक़ा कौन देखेगा किसे है कारोबारे ज़ीस्त से...
ग़ज़ल में फ़न, तख़य्युल, लफ़्ज़, लहजा कौन देखेगा जहाँ सब बेसलीक़ा हों सलीक़ा कौन देखेगा किसे है कारोबारे ज़ीस्त से...
श्वेत साया मंद गति से रेंगता कुंज गलियों में उसके वीरान चेहरे पर दिखाई देता हैं अंतहीन शोक बिन पादुका...
ये दिन गुज़र रहे हैं या हम गुज़र रहे हैं आधी है हर कहानी किरदार मर रहे हैं ख़ुशबू के...
मात्राबद्ध रचना ही है। इसलिए सभी विद्वानों से आग्रह है कि कृपया विषय का आस्वादन करें मात्रिक छंद के प्रकार...
सभी विद्वान मनीषी साहित्य रसिकों के लिए एक ग़ज़ल प्रस्तुत है। पहले के ज़माने में तो अख़बार नहीं थे। लेकिन...
जो तुमसे नैन हटा पाए तो चन्द्रमा भी देख लेंगे, संग तुम्हारे रातें होंगी, और दिन भी देख लेंगे। तेरी...
सफ़र में हूँ सफ़र पहचानता हूँ मैं रहबर की नज़र पहचानता हूँ मेरी आँखों पे पट्टी बाँध देना मैं फिर...
चांद से टूटा नाता मेरा नही उतरे सखी मेरे अंगना. गुमसुम पड़ा है करवा मेरा छलनी भी है बड़ी उदास...
--------------- //1// महिला मन ला आत्मनिर्भर बनाय बर सरकार ह बोलत हे। बजार बनाके दिस अब उही जगा में दारू...
हैं चरण,पर आचरण तो भ्रांत है, घोषणा उसकी, कि वह संभ्रांत है। धर्म का परिदृश्य, क्यों ऐसा हुआ! रक्त रंजित...