अलिखित चिट्ठियाँ
तुम्हारे जन्म की तारीख और जगह नही जानती थी पर तब भी पता था कि इस दुनिया मे तुम हो...
तुम्हारे जन्म की तारीख और जगह नही जानती थी पर तब भी पता था कि इस दुनिया मे तुम हो...
यह भारतीय रेल की उदारता थी जो मात्र पन्द्रह रुपये के टिकट में पन्द्रह स्टेशन दिखला देता है। सहयाद्रि पर्वत...
आती और जाती साँसों के संघर्षों में हारकर इक दिन हम भी टंग जायेंगे फोटो बन दीवार पर. अभी पिताजी...
हे शुष्क शाख़ पर बैठे खग! क्या सोच रहे यूँ एकाकी? मेघों की श्यामल घटा घिरी, हर ओर दीखती हरियाली।...
अभी तक बारिश नहीं हुई ओह! घर के सामने का पेड़ कट गया कहीं यही कारण तो नहीं बगुले झुँड...
कोई कविता कुछ भी सिद्ध नहीं करती, सिवाय एक अनुभव को रचने के मैंने भी यही एक प्रयास किया है...
अब हम निःशब्द एक दूसरे को ताकते हैं आंखों के उजड़े अरण्य में हर तरफ बिखरी है जुगनुओं की मृत...
युवा नवगीतकार मनोज जैन को "माहेश्वर तिवारी स्मृति नवगीत सृजन सम्मान" देकर सम्मानित किया गया है। 2024 में यह सम्मान...
बुकर पुरस्कार से सम्मानित अरुंधति रॉय को निर्भीक और मुखर लेखन के लिए प्रतिष्ठित पेन पिंटर पुरस्कार से सम्मानित किया...