कुनबे का एक सूर्य अपनी रौशनी बुझा गये…
कुनबे का एक सूर्य अपनी रौशनी बुझा गये ,
सभी परिवार वालों को वो बेसबब रुला गये ।
कहां गये किसे पता, कहां हमें मिलेंगे वो,
किसी भी अपनों को न दे के अपना पता गये ।
हमारी सबकी दास्तां में ऐसे जाना ही लिखा,
सबक हमें कुनबे के सबंधो’ का सिखा गये ।
रहेंगे आप यादों में,मगर आपने कुनबे वालों की
आंखोँ को आंसुओं से उम्र भर के लिए भिगा गये।
ख़ुदाई शान्ति आपको प्राप्त हो, है दुआ आपने
हमारे सीनो’ पर अपनी यादों का दिया जला गये ।
( डॉ संजय दानी )