8 जून विश्व महासागर दिवस पर विशेष लेख : बदल रही है हमारे अरब सागर की प्रकृति
डॉ. शुभ्रता मिश्रा
वास्को-द-गामा, गोवा
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विश्व मेंकुल पांच महासागर यथा प्रशांत, हिंद,अटलांटिक, आर्कटिक और दक्षिणी महासागर और असंख्य छोटे बड़े समुद्र तथा खाड़ियां मौजूद हैं। इनमें सेभारत के हिस्से में पश्चिम में अरब सागर एवं पूर्व में बंगाल की खाड़ीतथा दक्षिणी छोरपर हिंद महासागरआते हैं। वास्तव में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों हिंद महासागर केही हिस्से हैं। महासागरों और समुद्रों में तूफान आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। अतः हमारे देश में भी समय-समय पर इन तीनों सागरों में तूफान आते रहते हैं।
सामान्यत: उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र यानी बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में अप्रैल से जून के दौरानपूर्व-मानसून तथा अक्टूबर से दिसंबरकी अवधि में पश्च मानसून तीव्र उष्णकटिबंधीय चक्रवात आते हैं, जो भारतीय समुद्र तटीयप्रदेशों विशेषकर ओडिशा, गुजरात, आंध्र प्रदेश ,पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक महाराष्ट्र और गोवाको बेहद प्रभावित करते हैं।तूफानों का आना समुद्रों की उनके प्रति संवेदनशीलता पर निर्भर होता है। भारत के संदर्भ में बात करें तो हमेशा से यह कहा जाता रहा है कि बंगाल की खाड़ी की तुलना में अरब सागर में कम चक्रवाती तूफान आते हैं। ऐसा अनुमान है कि पिछले लगभग दो सौवर्षों में बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की अपेक्षा चार गुना अधिक चक्रवाती तूफान आए हैं।इसके अलावा यह भी माना जाता है कि बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवाती तूफानों की तुलना में अरब सागर के चक्रवाती तूफ़ान अपेक्षाकृत कमजोर होते हैं।
भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर क्रमशः अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफानों की संख्या और व्यवहार के बीच इस बड़े अंतर के कई कारण हैं। इनमें दोनों की भौगोलिक स्थितियां, समुद्रों की लवणता और साथ ही उनकी समुद्री सतह के तापमानशामिल हैं। ये सभी कारक दोनों भारतीय समुद्रों में चक्रवाती तूफानों की उत्पत्तिमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के अपेक्षाकृत अधिक विस्तृत भूभाग से घिरी हुई है, इससे उसके समुद्री जल की लवणता में वृद्धि होती है। इस तरह हम कह सकते हैं किबंगाल की खाड़ी में अधिक चक्रवाती तूफानों के आने का एक और महत्वपूर्ण कारण उसकी अपनी लवणता भी है। विशेषज्ञों के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में प्रशांत महासागर में आए आंधी-तूफान के कई अवशेष भी मिलते हैं। वे बंगाल की खाड़ी में कम दबाव वाले क्षेत्र के रूप में आते हैं और आदर्श परिस्थितियों के कारण चक्रवातों में बदल जाते हैं।
सामान्यतौर पर, तापमान बढ़ने से जब समुद्र जल गर्म होता है, तो उसके ऊपर की वायु भी गर्म हो जाती है और उसके ऊपर उठने से एक निम्न दाब वाला क्षेत्र बन जाता है। इस निम्न दाब वाले क्षेत्र को आसपास की उच्च दाब वाली शीतल वायु भरने लगती है, लेकिन पृथ्वी के घूर्णन से यह वायु उस क्षेत्र को भर नहीं पाती, बल्कि घूमने लगती है और इस तरह वहां घूमने वाला तूफान बन जाता है, जिसे ही चक्रवात कहते हैं।चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए आदर्श समुद्र सतही तापमान 28.5 डिग्री सेल्सियस माना गया है।इस आधार पर परंपरागत रूप से बंगाल की खाड़ी को गर्म समुद्री क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। जबकि हमेशा से यह कहा जाता रहा है कि अरब सागर बंगाल की खाड़ी की तुलना में बहुत ठंडा है।लेकिन अब ग्लोबल वार्मिंग से शनैः शनैः अतिरिक्त ताप अवशोषण के कारण अरब सागर भी एक गर्म समुद्री क्षेत्र बनता जा रहा है।
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणेके वैज्ञानिकों के पिछले कुछ दशकों के अध्ययन दर्शाते हैं कि अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफानों की संख्या का अनुपात धीरे धीरे बदल रहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि अब अरब सागर में भी बंगाल की खाड़ी की तरह चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता दोनों बढ़ रही है।विशेषज्ञों का मानना है कि इसका प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग से अरब सागर के तापमान में हो रही वृद्धि है,जिससे यह चक्रवातों के प्रति अधिक संवेदनशील होता जा रहा है।
इसके अलावा वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण अरब सागर के जल की सतह की खाद्य श्रृंखला भी प्रभावित हो रही है। एक शोध के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में अरब सागर में शैवालपुंजों की मात्राबहुत बढ़ती जा रही है। इससे अरब सागर में पलने वाले अन्य समुद्री जीवों का जीवन भी खतरे में पड़ सकता है। सार रुप में कहें तो देखते ही देखते ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी परिस्थितियां लगातार हमारे अरब सागर की प्रकृतिबदल रही हैं।