नीलांबर कोलकाता द्वारा आयोजित कार्यक्रम “लिटरेरिया 2022″का विषय “परंपरा की दूसरी खोज” 19 नवंबर को
नीलांबर कोलकाता द्वारा आयोजित कार्यक्रम “लिटरेरिया 2022″का विषय “परंपरा की दूसरी खोज” बहुत ही विचारोत्तेजक विषय है, जो हमें आत्म चिंतन के लिए प्रेरित करता है।
आज के आधुनिकीकरण के परिवेश में जहां पुरानी मान्यताएं धूमिल होती जा रही हैं, मृतप्राय होती जा रही हैं, वहीं वक्त के साथ बदलते परिवेश में नित-नई परंपराएं जन्म ले रही हैं, पुष्पित, पल्लवित हो रही हैं ।
सोचिए यदि परंपराओं की अपनी आत्मा होती तो वे कैसा अनुभव करतीं आज के इस आधुनिक समय में ?
इसी मनोभाव से प्रेरित होकर कुछ शब्द बुने हैं जो आप सबके समक्ष प्रस्तुत हैं, पुनः इसी निवेदन के साथ कि आपकी उपस्थिति ही संबल है हमारा। आप जैसे सुधीजनों के आगमन से ही हमारे कार्यक्रम में जान है, शान है। लिटरेरिया 2022 आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता है।
🙏😊
परंपराएं भी जीना चाहती हैं
जो हो जाती हैं परित्यक्त
विधवाओं की तरह
भटकने को मजबूर
अतीत की अंधेरी गलियों में
ऊँचे-ऊँचे नए आदर्शों वाली
मन की काशी नगरी में
फिरती रहती हैं याचक बनकर
पाने को स्वीकृति की अनुकंपा
जो होता है सामाजिक मान्यता का
खोटा सिक्का
जिसका हो चुका है बंद प्रचलन
दुनिया के ख़ुदगर्ज़ बाज़ार में
मैनेक्विन की तरह सजी रहती हैं
बेजान-सी अद्भुत दिखतीं
लुभाती परंपराएं
अपनी-अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक
दुकानों में
जो होती हैं निष्प्राण
बिना मानवीय संवेदनाओं वाली
आधुनिका गुड़िया-सी
और, हम….
रहते हैं बेकल
अपनाने को ये रंग रंगीली
नई गुड़िया सी दिखती मैनेक्विन
निष्प्राण परंपराएं
भूलकर शुचिता उन विधवा
परंपराओं की
जो भटकती हैं अतीत की गलियों में
आज भी….
पाने को
आदर… सम्मान… अपनत्व
हम सबका !!
– अनिला राखेचा