रस्किन बांड के जन्मदिन पर
कहानियों को अपनी कल्पना से सुंदर और रंगीन पंख देने वाले यशस्वी कथाकार रस्किन बांड आज 87 बरस के हो रहे हैं । उनको याद करते ही उनकी दर्जनों कहानियां और संस्मरण याद आने लगते हैं । 19 मई 1934 को कसौली हिमाचल प्रदेश में जन्में रस्किन बांड के दादा ब्रिटिश आर्मी में थे और भारत आ गए थे ,उनके पिता भी ब्रिटिश रॉयल फोर्स में अफसर थे । रस्किन जब दस साल के हुए तो उन्हें इंग्लैंड भेज दिया गया जहाँ चार पांच साल बिताने के बाद रस्किन बांड को अहसास हुआ कि मैं तो भारत में रहने के लिए पैदा हुआ हूँ और वे हिंदुस्तान लौट आए तब से वे भारत के ही हैं और मसूरी में रहते हैं ।
उन्होंने बच्चों के लिए ही ज्यादातर लिखा है और उनके पात्र रस्टी और अंकल केन बाल साहित्य के सबसे लोकप्रिय चरित्रों में से हैं । उनकी कहानियों पर सात खून माफ़, जुनून, एक था रस्टी और ब्लू अम्ब्रेला आदि फिल्में भी बनी हैं । रवींद्र नाथ टैगोर, रुडयार्ड किपलिंग और चार्ल्स डिकेन्स के लेखन से प्रभावित रस्किन बांड को 1992 में साहित्य अकादमी, 1999 में पद्मश्री और 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया । उन्होंने 17 वर्ष की आयु में अपना पहला उपन्यास रूम आन द रूफ लिखा और पहले उपन्यास से ही उनकी ख्याति समर्थ लेखक के रूप में हो गई थी । दर्जनों किताबों के लेखक रस्किन बांड द हिडेन पुल, नाइट ट्रेन एट देओली, चेरी ट्री, अब दिल्ली दूर नहीं, एंग्री रिवर और सुजेन सेवेन हसबैंड जैसी किताबों के लिए चर्चित रहे हैं । उनकी अधिकांश किताबों का हिंदी अनुवाद हुआ है और वे आज भी लेखन में सक्रिय हैं ।
भोलाशंकर तिवारी