November 16, 2024

चेतना जठोल

”खिलने दो सैंकड़ों फूल
होने दो हज़ार विचारधाराओं में संघर्ष”
‘तोत्तोचान’ एक बहुत ही चंचल, प्यारी सी जापानी बच्ची है जिसे उसके स्कूल से निकाले जाने पर उसकी मां उसे ‘तोमोय’ नामक विद्यालय में दाखिला दिलाने ले जाती है और फिर शुरू होता है इस विद्यालय में तोत्तोचान का सुनहरा और रोचक सफर। एक बहुत ही सहृदय तथा कल्पनाशील हेडमास्टर श्री कोबायाशी इस अद्भुत विद्यालय को चलाते हैं। केवल 50 बच्चों के इस विद्यालय में हर दिन बच्चों के लिए उत्साह और उल्लास से परिपूर्ण है। इस विद्यालय की अनेक विशेषताएं आप को अचंभित कर देती हैं जैसे रेलवे के डिब्बे में लगने वाली कक्षाएं, गीत संगीत द्वारा शिक्षण, दिव्यांग बच्चों का समावेशन, भ्रमण शील अध्ययन तथा खाना खाने खिलाने का ढंग। हेड मास्टर कोबायाशी सभी बच्चों की हर जिज्ञासा को गंभीरता से लेते हैं तथा उन्हें बड़े ध्यान से सुनते हैं। उनका तोत्तोचान को बार-बार कहना कि “तुम सच में बहुत अच्छी बच्ची हो”, उसे आत्मविश्वास से भर देता। इस विद्यालय में खेल प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन कुछ इस प्रकार किया जाता था कि हर बच्चा अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन कर सके।
बड़ा दुखद था यह देखना कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यह विद्यालय लड़ाकू जहाजों द्वारा बम गिराने के कारण लपटों से घिर गया।
आपका मन करता है कि यह पुस्तक पढ़ते रहें और कभी खत्म ना हो। आपको तोमाेय के हर बच्चे से प्यार हो जाएगा और आप सोचने लगेंगे कि काश! दुनिया के हर बच्चे को कोबायाशी जैसे हेडमास्टर के सानिध्य में पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त होता। हर शिक्षक को तो यह किताब अवश्य ही पढ़नी चाहिए, साथ-साथ माता-पिता भी इसे अवश्य पढ़ें। बहुत ही सरल अनुवाद किया है इस पुस्तक का पूर्वा याज्ञिक कुशवाहा जी द्वारा। विश्व के अनेक देशों में इस पुस्तक के अंश पाठ्यक्रम के रुप में सम्मिलित किए गए हैं।
आज तोत्तोचान जिनका असली नाम ‘तेत्सुको कुरोयानागी’ है, 87 वर्ष की हो गई हैं और वह जापान की एक प्रसिद्ध टीवी कलाकार के रूप में जानी जाती है तथा यूनिसेफ द्वारा उन्हें गुडविल एंबेसडर भी मनोनीत किया गया है। उनका इंस्टाग्राम अकाउंट भी देखा मैंने। एक मिलियन फॉलोअर हैं उनके 😊 और आज भी वही चंचलता बरकरार है।

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