नंवा बिहान
मांतगे हे धनहा म धान बड़ मगन हे किसान उत्ती ले सुरूज हा लावत हे बिहान बबा हा मुसुर मुसुर...
मांतगे हे धनहा म धान बड़ मगन हे किसान उत्ती ले सुरूज हा लावत हे बिहान बबा हा मुसुर मुसुर...
सखियों! घर के पर्दे, सोफा कवर तो बदलोगी ना अपने सोचने का तरीका भी बदल देना दीयों को जब तेल...
(बाल दिवस की बधाई! बच्चे ही बनाएंगे देश को और बेहतर...) इस अराजक दौर में विश्वास हैं बच्चे आस्थाओं के...
वो कहते हैं क्या लिखती हो हंसकर इतना कह देती हूँ । माँ की लोरी, पापा का लाड़ दादी-नानी भी...
जिसने माटी से दीप बनाये जिसने कच्ची घानी से कडु तेल निकाला जिसने खेत में पसीना बहाके उगाया कपास बाती...
समय के अश्व (कविता संग्रह) कवयित्री - प्रियंवदा पांडेय प्रकाशक - नोशन प्रेस चैन्नई प्रथम संस्करण -2023 मूल्य - 300...
कहने सुनने वाली भाषा, शान मर्यादा रखती है। केवल कहने सुनने से जो, दुख भी आधा करती है। बातचीत ऐसा...
हँसने वाला और हँसेगा इससे ज़्यादा क्या होगा मेरा ग़ुस्सा और बढ़ेगा इससे ज़्यादा क्या होगा पानी मेरे शहर तलक...
"कवि सम्मेलन के मंच केवल हाँसी ठिठोली बर नइ होवय, मंच के माध्यम ले कवि संदेश देथे समाज ला अउ...