April 19, 2025

Chhattisgarh Mitra

1 मई मजदूर दिवस पर मेरी एक रचना

मजदूर मुट्ठी में बंद उष्णता, सपने, एहसास लिए,खुली आंखों से देखता है कोई …..क्षितिज के उस पार। बंद आंखों से...

आज के कवि : मुझे रोको मत

(1)कवि होता हैकितना लाचार,मायूस औरनिरीह प्राणी!उसेगढ़नी होती है कविताउन्हीं बेजान शब्दों सेजिनसे लोगचीखते- चिल्लातेगदहे को बाप बनातेऔरतलवे सहलाते हैं| (2)बंधुयह...

यादों का बोझ लिए

इंतजार में पत्थरायी आँखेंछुए जाने की प्रतीक्षा मेंदो व्याकुल अधखुले होंठउँगलियों के स्पर्श को आतुरहथेलियों की सैकड़ों रेखाएँविरह की पराकाष्ठा...