डॉ. किरण मिश्रा की दो कविताएं
समागम के मूलतत्व जीवन का ब्रहांड बनता बिगड़ता है तेरे मेरे गुरुत्वाकर्षण से जैसे गुजरता है जीवन अनेक चक्रों से...
समागम के मूलतत्व जीवन का ब्रहांड बनता बिगड़ता है तेरे मेरे गुरुत्वाकर्षण से जैसे गुजरता है जीवन अनेक चक्रों से...
■ स्मृतियों की कतरन ■ •|| एक ||• अभी इस समय दर्ज़ी क्यों याद आ गए कहना कठिन है! जबकि...
1 ) माँ - मायके की नदी एक नदी एक नदी को पार कर मिलने जाती है एक और नदी...
सुशांत सुप्रिय पंडित ओंकारनाथ संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे । लोग उनके पांडित्य का लोहा मानते थे । पांडित्य उन्हें...
1. दूसरे बेटे का घर कोविड-सैंटर के हेल्पर ने वृद्धा को उसके अ।टो में बैठाते हुए बताया था, अब मांजी...
मध्यवर्गीय व ग्रामीण जीवन के सुख दुख की अपनी कहानियों में मुखर करने वाले कथाकार शेखर जोशी ऐसे कथाकारों में...
आदिवासियों के लिए भगवान तुल्य, दानवीर एवं प्रजावत्सल राजा का दूसरा नाम प्रवीरचंद्र भंजदेव था। हिंदुस्तान के नक्शे में बस्तर...
यु खामोश रह कर कटता नहीं सफर तसब्बुर के अन्धेरे में यूँ भटका न कर दामन मे काटें भरी है...
शह्र में ये कौन है आया हुआ, कारवां उसका है क्यूं उजड़ा हुआ। मुझसे वो क्यूं दूर अब रहने लगा,...
पहचान प्रमाण पत्र ------------------------ हमारी रुह के राशन कार्ड हमारे व्यक्तित्व का आधारकार्ड हमारे जीवन सफर का ड्राइविंग लाइसेंस हमारी...