साहित्य
बुद्धिलाल पाल की कविताओं में प्रतिरोध के स्वर
साथी अजय चंद्रवंशी द्वारा मेरी चयनित कविताओं के संग्रह पर समीक्षा। उनके प्रति आभार के साथ यह - बुद्धिलाल पाल...
इतना मत व्यवधान रखा कर…
इतना मत व्यवधान रखा कर अपना थोड़ा ध्यान रखा कर भीड़ में तन्हा क्यूँ रहता है इक-दो से पहचान रखा...
शरद पूर्णिमा पर एक गीत….
आज शरद की रात, आज अमृत बरसेगा। अपनी सोलह कला समेटे, चांद दिखेगा और भी सुंदर। शुद्ध दूध से खीर...
शरद पूर्णिमा पर विशेष : शरद पूर्णिमा, महारास एवं गोपी-गीत का महात्म्य
लेख लम्बा अवश्य है परंतु आवश्यक है पढ़ें अवश्य। महारास शरद पूर्णिमा के दिन रचा गया था, कहतें हैं की...
लघुकथा : पटरी
डोली शाह फिरंगी लाल की कपड़े की छोटी-मोटी दुकान थी। लेकिन ग्राहकों की हर पसंद वहां मौजूद थी ।उसी दुकान...
सुबह के उजालों से …
सुबह के उजालों से आंखें चुराकर अंधेरी निशा से डरे तो नहीं हो?? चुनौती से लड़ने का उत्साह खोकर मरने...
औरतें तुम जाकर कहीं…
औरतें तुम जाकर कहीं मर क्यों नहीं जाती हो बार बार तुम कभी चारे की तरह कभी दूब की तरह...