राजेन्द्र राजन के दो गीत
2) केवल दो गीत लिखे मैंने। इक गीत तुम्हारे मिलने का इक गीत तुम्हारे खोने का। सड़कों-सड़कों, शहरों-शहरों नदियों-नदियों, लहरों-लहरों...
2) केवल दो गीत लिखे मैंने। इक गीत तुम्हारे मिलने का इक गीत तुम्हारे खोने का। सड़कों-सड़कों, शहरों-शहरों नदियों-नदियों, लहरों-लहरों...
हम बच्चों को तिरंगे का तीन रंग के बारे में बताया जाता है पढ़ाया जाता है समझाया जाता है दिखाया...
उखाड़ा नहीं जड़ से, काट दिया धड़ से| परिवार बिखर गया, अब कौन किधर गया| जमाने से पोसता रहा, साथ...
तुम बारिश की तरह आईं और एकबारगी तेज झिपार से प्रेम से सराबोर कर गईं मैं भींगता रहा-- भींगता रहा...
तुम्हारे 'हिज्र का सदमा बड़ा 'निराला है। ग़म - ए- जहाँ 'से इसी ने हमें 'निकाला है। उसी के नूर...
इन दिनों मैं- जुगनू हो गया हूं ढूंढ़ता फिरता हूं उम्मीदों के दीप जो रोशन कर सकें तुम्हारी नाउम्मीदियों को।...
तू गुनाहों का देवता मैं पीली छतरी वाली लड़की तू जैसे राम निराला का मैं श्रद्धा प्रसाद के मन की...
रश्क होता है! प्रकृति से मुझे रश्क होता है! कभी-कभी जब देखती हूं, आसमान के रंगों को तब। महसूस होता...
अजीब सी चुप्पी तो है पर इशारा करती है छुपा है कोई तूफान वक्त के सीने में उखाड़ फेंकने को...