कवि राजेश जैन ‘राही’ की कुछ नयी ग़ज़लें
(1) ये तो सच है दौलत पास नहीं है, लुट जाने का डर भी ख़ास नहीं है। बातें होंगी जी-भर...
(1) ये तो सच है दौलत पास नहीं है, लुट जाने का डर भी ख़ास नहीं है। बातें होंगी जी-भर...
डोरबेल बजाने के साथ दरवाजा भी थपथपाया जा रहा था। मैं समझ गयी हमारी मेड होगी। इतनी जल्दबाजी उसे ही...
ये क्या आधी रात तुम लाइट जलाकर कर सबका नींद खराब करती रहती हो...?":" झल्लाकर,,, समीर ने सुधा को कहा...।...
भिलाई। प्रारंभ में विद्यार्थियों की ओर से डॉ मणिमेखला शुक्ल के नेतृत्व में उर्वशी श्रीवास और कुछ आरती ने सरस्वती...
सौ बीघा जमीन के मालिक रामनाथ की जिंदगी बड़ी रूखी -सूखी सी गुजर रही थी । खेतीवाड़ी को नौकर चाकर...
मुश्किल कहां सबकुछ आसान तो है, दुनियाँ में हर समस्या का समाधान तो है, ढूँढोगे तो हल मिलेगा,सब आसान तो...
प्रेमचंद तत्कालीन समाज के कुशल चितेरे हैं। वे समाज के अंतर्विरोधों, विडम्बनाओं से आँख नही चुराते बल्कि जोखिम की हद...