November 16, 2024

बद्री प्रसाद वर्मा अनजान की गजलें

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खुदगजॅ जमाने में

खुदगजॅ जमाने में दीवाने हजारों हैं
मरने के लिए देखो परवाने हजारों हैं।
करते हैं खुद खुशी वो जान कर अपनी
मौत को गले लगाते हजारों हैं।

मतलब की दोस्ती से पिछा नहीं छुटता
कमबक्त ऐसे लोगों से साथ ना छुटता।
पीते हैं जहर रोज वो जानकर
तकदीर अपने हाथों से हर कोई लिखता है।

वो अपनी ताकत का हम पर रौब झारते हैं
दूसरों की ख़ुशी छीन कर मुस्कराते हैं।
अनजान इस जालिम जमाने से जरा पूछो
वो जान कर हम पर क्यों खंजर चलाते हैं।

बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
अध्यक्ष स्वगीॅय मीनू रेडियो श्रोता क्लब गल्ला मंडी गोला बाजार 273408गोरखपुर उ प्र मोबाइल 9838911836

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हम तो यूं ही नजरें बिछाए बैठे हैं

हम तो यूं ही नजरें बिछाए बैठे हैं
आप को दिल में बसाए बैठे हैं।
प्यार में आप के मर मिटेंगे हम
आप से अपनी जन्नत सजाए बैठे हैं।

ख्वाब पुरे होंगे हमको यकीन है
आप को अपना मोहब्बत बनाए बैठे हैं।
हुस्न इश्क और चाहत की
हम तो महफिल सजाए बैठे हैं।

कोई गिला कोई शिकवा नहीं आप से
जिन्दगी को हम दांव पर लगाए बैठे हैं।
आप को हुर आफताब या मासुका कहें
आप से हम अपनी दुनिया बसाए बैठे हैं।

बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
अध्यक्ष स्वगीॅय मीनू रेडियो श्रोता क्लब
गल्ला मंडी गोला बाजार 273408गोरखपुर उ प्र
मोबाइल 9838911836

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