November 15, 2024

संदीप तोमर का साहित्यिक का परिचय

0

संदीप तोमर का जन्म ७ जून १९७५ को उत्तर प्रदेश के जिला मुज़फ्फरनगर के गंगधाड़ी नामक गॉंव में हुआ। उन्होंने विज्ञान विषयों से स्नातक करके प्राथमिक शिक्षक के लिए दो वर्ष का प्रशिक्षण लिया। दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.एड, एम.एड के बाद एम्.एस सी(गणित) एम्.ए.(समाजशास्त्र व भूगोल) एम.फिल (शिक्षाशास्त्र) की शिक्षा ग्रहण की।

उन्होंने कविता, कहानी, लघुकथा, आलोचना, नज़्म, ग़ज़ल के साथ साथ उपन्यास को अपनी विधा बनाया। पेशे से अध्यापक सन्दीप तोमर का पहला कविता संग्रह “सच के आस पास” 2003 में प्रकाशित हुआ।अन्य पुस्तकें “टुकड़ा टुकड़ा परछाई” (2005), शिक्षा और समाज(लेखों का संकलन शोध-प्रबंध) 2010, लघुकथा सँग्रह “कामरेड संजय” (2011) में “महक अभी बाकी है” (सम्पादित कविता संकलन)प्रकाशित हुए, “थ्री गर्ल्सफ्रेंड्स”(२०१७) उपन्यास ने संदीप तोमर को चर्चित उपन्यासकार के रूप में स्थापित कर दिया। 2018 में आपकी आत्मकथा “एक अपाहिज की डायरी” का विमोचन नेपाल की धरती पर हुआ। जनवरी २०१९ में “यंगर्स लव” कहानी संग्रह का विमोचन विश्व पुस्तक मेला दिल्ली में हुआ। लघुकथा संग्रह “समय पर दस्तक” 2020 और उपन्यास “एस फ़ॉर सिद्धि” 2021 में (डायमण्ड बुक्स) प्रकाशित हुआ।

प्रारंभ, मुक्ति, प्रिय मित्र अनवरत अविराम इत्यादि साझा संकलन में बतौर कवि सम्मलित हो चुके हैं। सृजन व नई जंग त्रैमासिक पत्रिकाओं में बतौर सह-संपादक सहयोग करते रहे।

फिलहाल उनकी कई पुस्तकें प्रकाशन हेतु प्रकाशकों के पास गई है। “दीपशिखा” उपन्यास और “परमज्योति” कविता सँग्रह प्रमुख हैं।

आपको क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय, सुचना और प्रसारण मंत्रालय (भारत सरकार) देहरादून द्वारा १९९६ में बाल अधिकार विषय पर नियोजित निबंध प्रतियोगिता के लिए सम्मानित किया गया। श्री सत्य साई सेवा समिति शामली, मुज़फ्फरनगर (उ. प्र.) द्वरा कला प्रतियोगिता के लिए १९९६ में सम्मानित किया गया। हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा निबन्ध व कविता लेखन के लिए( २००३ व २००५), मानव मैत्री मंच द्वारा काव्य लेखन के लिए सम्मान (२००२-२००३) जिला हिन्दी भाषा- साहित्य परिषद्, खगड़िया (बिहार) द्वारा “सच के आस पास” काव्य कृति के लिये “तुलसी स्मृति सम्मान” २००४ में, १२ वां अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मलेन में काव्य लेखन के लिए “युवा राष्ट्रीय प्रतिभा” सम्मान (२००४), साहित्यिक सांस्कृतिक कला संगम अकादमी परियावां प्रतापगढ़ (उ.प्र.) द्वारा “साहित्य श्री” सम्मान (२००५), अजय प्रकाशन रामनगर वर्धा (महा.) द्वारा “साहित्य सृजन” सम्मान ( २००४), सहित कई बड़ी संस्थाओं द्वारा समय- समय पर आपको सम्मानित किया गया है।

2011-12 में स्कूल स्तर पर तत्कालीन विधायक के हाथों बेस्ट टीचर आवर्ड से सम्मानित।किया गाय। 2011 में आल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ टीचर्स आर्गेनाईजेशन के तत्वाधान में तत्कालीन संसदीय मन्त्री हरीश रावत के कर कमलों से दिल्ली के बेस्ट टीचर के लिए सम्मानित हो चुके हैं।

आपको “ औरत की आज़ादी: कितनी हुई पूरी, कितनी रही अधूरी?” विषय पर अगस्त २०१६ में आयोजित परिचर्चा संगोष्ठी में विशेष रूप से सम्मानित किया गया। भारतीय समता समाज की ओर से आपको समता अवार्ड 2017 से सम्मानित किया गया। साहित्य-संस्कृति मंच अटेली, महेंद्र गढ़ (हरियाणा) द्वारा साहित्य- गौरव सम्मान (२०१८), छठवा सोशल मिडिया मैत्री सम्मलेन में नेपाल की भूमि पर वरिष्ठ प्रतिभा के अंतर्गत साहित्य के क्षेत्र में सतत वा सराहनीय योगदान के लिए “साहित्य सृजन”(२०१८), इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र एवम हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी द्वारा शिक्षक प्रकोष्ठ में सहभागिता प्रमाण पत्र दिया गया। पाथेय साहित्य कला अकादमी, जबलपुर/दिल्ली द्वारा सितम्बर २०१८ में कथा गौरव सम्मान से नवाजा गया। साथ ही दिसंबर 2018 में ही नव सृजन साहित्य एवं संस्कृति न्यास, दिल्ली नामक संस्था द्वारा हिन्दी रत्न सम्मान दिया गया।सितम्बर २०१९ में पत्रकार देवेन्द्र यादव मेमोरियल ट्रस्ट, दौसा एवम अभिनव सेवा संस्थान, दौसा द्वारा साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

जीवन गणना”

पार नहीं पाया जा सकता
जीवन की गणितीय आकृति संग
कि
उसका गोलीय पृष्ठ
अनवरत यात्रा है
अंतहीन छोर के साथ

कि
जीवन वृत की परिधि का
भ्रमण भी तो है
जिसपर पथ बार बार
दोहराता है खुद को

कि
यह परिमाप है त्रिभुज के
तीन कोनों का
जिसके शीर्ष कोशिश में होते
लाने को ठहराव

कि
यह हो जाता तब्दील
अर्धवृत्त में कभी भी कहीं भी
कभी यात्रा समतल
व्यास की मानिंद
तो कभी कर्व में घुमाती

कि
षट्कोण, चतुर्भुजी या कि अभिलम्ब में
विचरण करती जिन्दगी की सांसे
रास्ते तय करती, पर कर न पाती

कही उलझती, कहीं सुलझती
जिन्दगी
लेकिन इतना तय मानिए
कि इसे जीना है हर हाल में
जैसे हर आकृति कहलाती ज्यामिति।

“समय की दरकार”

कोई नहीं जानता
कि कब बन्द करेगी
पृथ्वी घूमना, थम जाएगी, जम जाएगी

कि
कब सूरज प्रकाशित होना
बन्द कर देगा और
घूमने लगेगा पृथ्वी के गिर्द

कि
मिलेंगे हम
अंतरिक्ष की अन्य पृथ्वियों से
नए रिश्तों के लिए

कि
हमारा स्थिर हो जाना भी
हो जाएगा नियति
जैसे मृत्यु सत्य है

हाँ, इतना तय है कि
हर सत्य को सत्य होने में
लम्बे समय की दरकार है।

सन्दीप तोमर
D 2/ 1 जीवन पार्क
उत्तम नगर 110059
837775009

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *