लघु कथा रोहन
बेचारा रोहन समझ नही पा रहा है कि उसके साथ क्या हो रहा है अचानक से वह क्यों पागल -सा हो जाता है क्यों उसके परिजन उससे डरने लगे हैं उसकी प्रिय पत्नी भी अपने मन की बात उससे नही कहती और न ही उसके माता -पिता उससे निर्भीकता पूर्वक कुछ कह सकते हैं रोहन को यह बात बहुत चुभती है कि उसके प्रियजन उससे डरते हैं वह अपनी इस छवि को ठीक करना चाहता है और शांत रहने की कोशिश करता है धीरज रखना चाहता है लेकिन जैसे ही कोई अप्रिय घटना होते देखता है या कोई ऐसी घटना होते देखता है जो उसे पसंद न हो तो पलक झपकते ही उसका गुस्सा परवान चढ़ जाता है और फिर वह कुछ ऐसा कर देता है जिससे उसका गुस्सैल छवि और मजबूत हो जाता है !!
रोहन हमेशा से ऐसा नही था उसकी छवि एक शांत सरल और व्यवहार कुशल इंसान की थी पढ़ाई में भी बचपन से ही होशियार था अपने गुरुजनों का प्रिय था साहित्य संस्कृति में अग्रणी और हर सामाजिक सामुदायिक गतिविधियों में बढ़- चढ़कर हिस्सा लेता था! रोहन स्नातक द्वितीय वर्ष में था तभी उसकी सरकारी नौकरी शिक्षा विभाग में लग गयी ,वह होनहार, व्यवहार कुशल और मेहनती तो था ही देखते ही देखते अपने स्टाफ और समुदाय का प्रिय हो गया छात्रों से गहरा नाता जुड़ गया !!
कुछ वर्षों बाद उसके जीवन में घटित घटनाओं ने उसे निराश कर दिया वह दुख से दर्द से भर गया उसे अपनी असमर्थता पर घृणा होने लगी उसे अपनी कमजोरियों से बैर हो गया और इस तरह वह हीन भावना में ग्रसित हो गया अब तो उसे सभी ओर केवल कमियाँ ही दिखाई देने लगी माता -पिता की नीतियों में ,घरबार में,
पत्नी में,सम्पत्ति जमीन -जायदाद में ,परिवार में ,रिश्तेदारों में और समाज में स्वास्थ्य में,जहां देखो वहां बस कमियां ही कमियां दिखाई देने लगी वह नकारात्मक होता चला गया चिल्लाने लगा और चिड़चिड़ा हो गया ,अपने द्वारा लिए भूतकालिक फैसलों को पीछे जाकर बदलना चाहता था लेकिन यह असम्भव था इस कारण रोहन को और ज्यादा तकलीफ होती उसे खुद के ऊपर गुस्सा आता क्योंकि वह मानने लगा कि उसकी गलतियों ने उसे इतनी बुरी स्थिति में ला दिया है !!
परिस्थिति बहुत बुरी हो चुकी है और पूरा वातावरण नकारात्मक हो गया है हमेशा खुश रहने वाला परिवार अशांत रहने लगा है जिसका निराकरण होना अत्यंत जरूरी है ,मन के चिकित्सक कहते हैं कि जब भावनाएं हृदय से बाहर नही आती तो भयानक विकारों का रूप ले लेती हैं और सढ़ी हुई भावनाओं ने रोहन के मन पर गुस्से के रूप में हमला किया था हृदय में बंद भावनाएं अब मन की बीमारी बन चुकी हैं लेकिन क्या इसका इलाज नही हो सकता ?
अवश्य हो सकता है काफी सारी सकारात्मक
भावनाएं भी उसके हृदय में अवश्य संचित होंगी अगर उन मुरझायी भावनाओं को पोषण दिया जाए तो रोहन आज फिर से खिलखिला कर हंस सकता है धैर्यवान हो सकता है ,यशवान हो सकता है ,बलवान हो सकता है ,आवश्यक है तो केवल इतना कि उसके मन की छुपी सढ़ी हुई भावनाएं बाहर निकल सके मन हल्का हो सके !
जब तक प्रकृति में यह नियम है कि पतझड़ के बाद पेड़ -पौधे पुनः हरे हो सकते हैं तब तक यह आशा इस संसार में बनी रहेगी कि भीषण से भीषण परिस्थिति से भी उबरा जा सकता है !!
महादेव और मां प्रकृति रोहन जैसे लाखों पीड़ित लोगों की रक्षा करें 💐💐💐
लेख -जपेश कुमार प्रधान
ग्राम -बड़ेलोरम ,पोस्ट -परसवानी
जिला-महासमुन्द (छ ग)
मो नं-8319275723