November 19, 2024

“मेरा कसूर ये है कि लोग मुझे पढ़ते हैं …” – शरद जोशी

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आज प्रसिद्ध साहित्यकार शरद जोशी का जन्मदिन है। हिंदी व्यंग्य को प्रतिष्ठित करने में शरद जोशी का बड़ा नाम है। आरम्भ में इन्होंने कुछ कहानियाँ लिखीं फिर व्यंग्य-लेखन ही करने लगे। इन्होंने व्यंग्य के अलावा टीवी धारावाहिकों की पटकथाएँ और संवाद भी लिखे। शरद जोशी की प्रमुख कृतियाँ हैं- परिक्रमा, किसी बहाने, जीप पर सवार इल्लियाँ, रहा किनारे बैठ, दूसरी सतह, प्रतिदिन (3 खण्ड), यथासंभव, यथासमय, यत्र-तत्र-सर्वत्र, नावक के तीर, मुद्रिका रहस्य, हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे, झरता नीम शाश्वत थीम, जादू की सरकार, पिछले दिनों, राग भोपाली, नदी में खड़ा कवि, घाव करे गंभीर, मेरी श्रेष्ठ व्यंग रचनाएँ (सभी व्यंग्य रचनाएँ) हैं। उनके दो व्यंग्य नाटक – ‘अंधों का हाथी’ और ‘एक था गधा उर्फ अलादाद खाँ’ हैं। इसके अलावा टीवी धारावाहिक यह जो है जिंदगी, मालगुड़ी डेज, विक्रम और बेताल, सिंहासन बत्तीसी, वाह जनाब, दाने अनार के, यह दुनिया गज़ब की, लापतागंज, भी शरद जोशी ने लिखा है। इसके साथ ही क्षितिज, गोधूलि, उत्सव, उड़ान, चोरनी, साँच को आँच नहीं, दिल है कि मानता नहीं आदि फिल्मो में शरद जोशी ने संवाद लिखे हैं।

इन विवरणों से याद आता होगा कि भारतीय मध्यवर्गीय सहजता जो आज खत्म हो गयी है, शरद जोशी की रचनाओं में दर्ज हो गयी है। जीवन की विडम्बनाओं को सिस्टम की विचित्रताओं को अपनी सरल सहज शैली में उन्होंने मजबूती से जाहिर किया है। शरद जोशी कवि थे, यह ज्यादा लोग नही जानते हैं। अभी द्वारिकाप्रसाद अग्रवाल जी की पोस्ट पर यह कविता देखी जिसे उनका आभार व्यक्त करते यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ। अपनी इस कविता में शरद जोशी ने कवियों पर करारा व्यंग्य किया है देखें –

‘च’ ने चिड़िया पर कविता लिखी
उसे देख ‘छ’ और ‘ज’ ने चिड़िया पर कविता
लिखी
तब त, थ, द, ध, न, ने
फिर प, फ, ब, भ और म, ने
‘य’ ने, ‘र’ ने, ‘ल’ ने
इस तरह युवा कविता की बारहखड़ी के सारे
सदस्यों ने
चिड़िया पर कविता लिखी

चिड़िया बेचारी परेशान
उड़े तो कविता
न उड़े तो कविता
तार पर बैठी हो या आँगन में
डाल पर बैठी हो या मुंडेर पर
कविता से बचना, मुश्किल
मारे शरम मरी जाए

एक तो नंगी
ऊपर से कवियों की नज़र
क्या करे, कहाँ जाए
बेचारी अपनी जात भूल गई
घर भूल गई, घोंसला भूल गई
कविता का क्या करे
ओढ़े कि बिछाए, फेंके कि खाए
मरी जाए कविता के मारे
नासपिटे कवि घूरते रहें रात-दिन

एक दिन सोचा चिड़िया ने
कविता में ज़िन्दगी जीने से तो मौत अच्छी

मर गई चिड़िया
बच गई कविता
कवियों का क्या
वे दूसरी तरफ़ देखने लगे!

शरद जोशी को आज उनकी जयंती पर नमन 💐

पीयूष कुमार

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